द ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल 2018 के विरोध में बुधवार को देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुआ है। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी से इस बिल के प्रति विरोध जताते हुए इसको वापस लेने की मांग की है। मुबंई के आजाद मैदान, मैसुरु और कई और शहरों में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों का कहना है कि ये बिल उनकी जिंदगी मुश्किल कर देगा क्योंकि इसके प्रावधान उनके खिलाफ हैं।
क्या है बिल से दिक्कत
मुंबई के आजाद मैदान में विरोध के लिए आईं ट्रांसजेंडर विकी शिंदे ने कहा कि हमें खुशियों के मौके पर कुछ रुपए वगैरह दिए जाने का हक है। ये कोई भीख नहीं है, इसे कोई कैसे छीन सकता है। उन्होंने कहा कि इस बिल में खुशी के मौकों पर हमें रुपए वगैरह देने को अपराध बना दिया गया है, हमें रोजगार देने की जगह हमारे पेट भरने का जरिया भी छीना जा रहा है। हम पीएम मोदी से अपील करते हैं कि ये बिल वापस हो।
'ट्रांसजेंडर की परिभाषा स्पष्ट नहीं'
द ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) बिल को इसी महीने लोकसभा में पारित किया गया है। इस विधेयक को दो साल पहले 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। जिसे इस माह लोकसभा में पारित किया गया। बिल को पारित किए जाने के दौरान तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तीदार ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अभी इस बिल को वापस लिया जाना चाहिए, पहले हमें ट्रांसजेंडर को परिभाषित करना चाहिए। बिल का सही तरीके से मसौदा तैयार करके ही इसे पेश किया जाना चाहिए।
माकपा के बदरुद्दोजा खान ने भी कहा कि बिल में ट्रांसजेंडर की परिभाषा स्पष्ट नहीं है। इस बिल पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि बिल को स्थायी समिति के पास भेजा गया था और सरकार ने समिति के 27 सुझावों को स्वीकार किया है। शोर-शराबे के बीच 17 दिसंबर को इस बिल को पारित किया गया।