नई दिल्ली। एक चिकित्सा अध्ययन में दावा किया है कि गोल्ड यानी सोने के सूक्ष्म कण त्वचा की कोशिकाओं को ताकत दे सकते हैं। यह न सिर्फ त्वचा में सूखापन, संक्रमण, सूजन के जोखिम से बचाते हैं बल्कि उम्र के प्रभावों को रोकने में भी सक्षम है।
साइंस जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि सूर्य की अल्टावायलेट किरणों, प्रदूषण और सिगरेट के धुंए से त्वचा की कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है। एपिडर्मल और फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं को नुकसान होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं जिनकी रोकथाम में स्वर्ण के नैनो कणों से युक्त सौंदर्य उत्पादों की भूमिका अहम है।
फ्रांस स्थित पेरिस विश्वविद्यालय के इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सौंदर्य उत्पादों में स्वर्ण के नैनो कणों के इस्तेमाल की सिफारिश की है जो न सिर्फ बाहरी संक्रमण से बचाते हैं बल्कि ये बढ़ती उम्र के प्रभावों को भी रोकने में सक्षम हैं।
प्राचीन ग्रंथ आयुर्वेद में पहले ही स्वर्ण भस्म की क्षमताओं का जिक्र मिलता है जिसके आधार पर भारत में इनसे युक्त उत्पादों की मांग खूब है। इस बारे में एमिल-आयुथवेदा के निदेशक डा संचित शर्मा बताते हैं कि इंसान की कोशिश चेहरे की सुंदरता कायम रखना होती है। स्वर्ण के जरिए एपिडर्मल और फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं को बचाया जा सकता है। हाल ही में भारतीय शोधकर्ताओं के साथ मिलकर तैयार स्पार्कलिंग गोल्ड फेस वास में 24 कैरेट स्वर्ण के नैनो कण के साथ कश्मीरी केसर भी मिश्रित किया जो इसके प्रभावों को काफी बढ़ाता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वर्ण के नैनो कण त्वचा का रुखापन खत्म करते हैं जिससे छिद्रों में नमी बनी रहती है। त्वचा को संपूर्ण पोषण मिलता है और क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ होने लगती हैं। इतना ही नहीं कोलेजन प्रोटीन बनने की प्रक्रिया तेज होने से त्वचा का लचीलापन बढ़ता है जो झुरियों को रोकता है।
ऐसे उम्र का असर कम करता है सोना
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक निष्कर्ष यह भी निकाला है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं, लेकिन स्वर्ण के नैनो कणों से यह प्रक्रिया बेहद धीमी हो जाती है एवं नई कोशिकाओं का बनना तेज़ हो जाता है । नतीजा यह होता है कि उम्र बढ़ने के प्रभावों का असर कम नजर आता है। एक बात और, स्वर्ण नैनो कणों का त्वचा पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा है।