महाराष्ट्र कांग्रेस ने बुधवार यानी आज कहा कि उत्पीड़न के दो नाबालिग पीड़ितों की पहचान उजागर करने के मामले में राज्य बाल अधिकार आयोग द्वारा पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी किया जाना वंचित वर्ग से जुड़े मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है।
पार्टी अध्यक्ष का बचाव करते हुए महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने संवाददाताओं को बताया कि गांधी के ट्वीट से पहले ही घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और टेलीविजन चैनलों ने इससे संबंधित क्लिप का प्रसारण किया था।
असली मुद्दे से भटकाने के लिए दिया गया राहुल को नोटिस
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चव्हाण ने कहा, ‘वंचितों को समाज में निशाना बनाए जाने के मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा गांधी को नोटिस दिया गया है।’ उन्होंने बताया कि कांग्रेस इस बारे में कानूनी राय लेने के बाद आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी।
अगर हम इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं तो इसमें गलत क्या?
उन्होंने सवाल किया, ‘यह ताजा मामला जलगांव जिले में कुएं में नहाने को लेकर पिछड़े समुदाय के दो किशारों की पिटाई का है। अगर हम इसके खिलाफ आवाज उठाते हैं और तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं तो इसमें क्या गलत है?’
आयोग ने 10 दिन में मांगा जवाब
गौरतलब है कि मुंबई के रहने वाले अमोल जाधव नामक व्यक्ति की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दो नाबालिग लड़कों की पहचान ‘उजागर’ करने के लिए कल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और ट्विटर को नोटिस भेजा था। आयोग ने उनसे 10 दिन में जवाब देने को कहा है।
ये है पूरा मामला
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में एक किसान के कुएं पर नहाने को लेकर दो किशोरों की कथित रूप से पिटाई की गई थी और उन्हें पूरे गांव में निर्वस्त्र घुमाया गया था। इस कथित घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
राहुल ने वीडियो टैग करते हुए ट्विटर पर घटना के बारे में लिखा था और पिछड़े वर्गों पर बढ़ते अत्याचार के लिए भाजपा एवं आरएसएस को दोषी ठहराया था। कानून के मुताबिक नाबालिग पीड़ितों की पहचान जाहिर नहीं की जा सकती है।