मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई ने पॉस्को कोर्ट में सभी 21 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। वहीं, ईडी पटना ने इस मामले में ब्रजेश ठाकुर के बेटे राहुल आनंद को 24 दिसंबर और उनकी पत्नी आशा ठाकुर को 26 दिसंबर को पेश होने के लिए समन जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान नीतीश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि पूरे मामले में राज्य का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, अमानवीय और लापरवाह है। कोर्ट ने अदालत में मौजूद मुख्य सचिव से पूछा था कि अगर अपराध हुआ था तो आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत अभी तक मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया।
ब्रजेश ठाकुर ने लगाया था यातना देने का आरोप
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने जेल में उसे यातनाएं देने का आरोप लगाया था। ठाकुर ने दूसरी याचिका में कोर्ट से मांग की थी कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम को ना ढहाया जाए। इसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि पंजाब के पटियाला जेल में उसे यातनाएं दी जा रही है। इसके बाद कोर्ट ने एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया था और इस बोर्ड ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी। बोर्ड ने रिपोर्ट में बताया कि आरोपी ब्रजेश की जांच करने पर उसके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं मिले हैं।
बिहार सरकार की हुई किरकिरी
मुजफ्फरपुर स्थित शेल्टर होम में 34 लड़कियों का कथित तौर पर यौन शोषण किए जाने का मामला सामने आया था, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले प्रकाश में आया था। मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा का करीबी माना जाता है जिसके चलते मंजू वर्मा को बिहार की नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा। लंबे समय तक यौन शोषण की बात सामने आने के बाद बिहार सरकार की खासी किरकिरी भी हुई।