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मणिपुर में 2 महिलाओं को नग्न घुमाने पर देशभर में आक्रोश; पीएम, सीजेआई ने घटना की निंदा की, अब तक 4 आरोपी गिरफ्तार

मणिपुर में पिछले दो महीने से अधिक समय से चल रही भीषण हिंसा गुरुवार को राष्ट्रीय मंच पर आ गयी जब...
मणिपुर में 2 महिलाओं को नग्न घुमाने पर देशभर में आक्रोश; पीएम, सीजेआई ने घटना की निंदा की, अब तक 4 आरोपी गिरफ्तार

मणिपुर में पिछले दो महीने से अधिक समय से चल रही भीषण हिंसा गुरुवार को राष्ट्रीय मंच पर आ गयी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने दो निर्वस्त्र महिलाओं के साथ भीड़ द्वारा क्रूरता किए जाने के ग्राफिक वीडियो पर गहरा दुख व्यक्त किया और इस घटना को "शर्मनाक" और "अस्वीकार्य" बताया। अब तक कुल चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।राज्य पुलिस अन्य दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। छापेमारी जारी है।

कांगपोकपी जिले के एक गांव की घटना, जो 26 सेकंड के वीडियो में कैद हो गई और देश भर में आक्रोश फैल गया, 3 मई को पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के एक दिन बाद हुई लेकिन भयावह फुटेज बुधवार को सामने आया और इंटरनेट प्रतिबंध हटने के बाद वायरल हो गया।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मणिपुर हिंसा पर अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में यह प्रतिज्ञा करने के कुछ ही घंटों बाद कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और कानून अपनी "पूरी ताकत और दृढ़ता" के साथ काम करेगा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी चेतावनी दी कि अगर जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है तो शीर्ष अदालत कार्रवाई करेगी।

वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस ने कल रात कहा कि अज्ञात हथियारबंद लोगों के खिलाफ नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

दो आदिवासी महिलाओं की आपबीती को कैद करने वाला वीडियो बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और कुकी आदिवासी समूह के बीच विभाजन का प्रतीक बन गया है, क्योंकि राजनीतिक नेताओं ने पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर इस घटना की निंदा की, जिसने मानसून सत्र के शुरुआती दिन संसद को भी हिलाकर रख दिया।

भाजपा शासित राज्य में जातीय हिंसा पर नहीं बोलने को लेकर विपक्षी दलों की आलोचना के बीच मोदी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, "आज जब मैं लोकतंत्र के इस मंदिर के पास खड़ा हूं तो मेरा दिल दर्द और गुस्से से भरा हुआ है।"

उन्होंने कहा, "मैं देशवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। कानून अपनी पूरी ताकत और दृढ़ता से काम करेगा... मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ है, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।" उन्होंने कहा कि राज्य की घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए ''शर्मनाक'' है और इसने पूरे देश का अपमान किया है और 140 करोड़ देशवासी शर्म महसूस कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि गहन जांच चल रही है और संभावित मृत्युदंड सहित सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने इंफाल में संवाददाताओं से कहा, "यह मानवता के खिलाफ अपराध है। हम किसी को नहीं बख्शेंगे।"

4 मई के वीडियो में राज्य के एक युद्धरत समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे पक्ष की भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में घुमाए जाने के बाद मणिपुर की पहाड़ियों में तनाव बढ़ गया। इस घटना पर नाराजगी की गूंज सुप्रीम कोर्ट में भी सुनाई दी, जहां भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो का संज्ञान लिया और केंद्र और मणिपुर सरकार से तत्काल कार्रवाई करने को कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा गया कि हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं को साधन के रूप में इस्तेमाल करना "संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य है"। पीठ ने कहा, ''जिस तरह से मणिपुर में उन दो महिलाओं की परेड कराई गई, उससे संबंधित कल सामने आए वीडियो से हम बहुत परेशान हैं।'' पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

सीजेआई ने कहा, "मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे क्योंकि यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।" उन्होंने कहा, "हम सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देंगे, अन्यथा अगर जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है तो हम कार्रवाई करेंगे।" उन्होंने इसे "घोर" संवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन भी करार दिया और कहा कि अदालत इस तथ्य से अवगत है कि वीडियो 4 मई का है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

केंद्र ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से घटना का वीडियो हटाने के लिए भी कहा क्योंकि मामले की जांच की जा रही है। सूत्रों ने कहा कि वीडियो भड़काऊ थे और चूंकि मामले की जांच चल रही है, इसलिए ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से वीडियो हटाने के लिए कहा गया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पार्टी इस घटना की "निंदा" करती है, लेकिन संसद के मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले सोशल मीडिया पर इसके फुटेज का सामने आना "बहुत रहस्य से घिरा" है।

विपक्षी सांसदों द्वारा इस घटना पर हंगामा करने और संसद में चर्चा की मांग करने के कारण लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई और दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। संसद के बाहर कांग्रेस, शिवसेना और डीएमके समेत विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया।

सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ी है लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी है।

केंद्र पर लोकतंत्र को "भीड़तंत्र" में बदलने का आरोप लगाते हुए पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि "मणिपुर में मानवता मर गई है" और मोदी से संसद में जातीय हिंसा प्रभावित राज्य के बारे में बोलने और देश को बताने को कहा कि क्या हुआ।

उनके सुर में सुर मिलाते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "यह घटना पूरे देश के लिए शर्मनाक है। यह बहुत परेशान करने वाली है।" मणिपुर में हिंसा को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा कि वीडियो देखकर देश की 'मां और बेटियां' रो रही हैं।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और मणिपुर राज्य पुलिस प्रमुख को मामले में त्वरित कार्रवाई करने को कहा है। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के सदस्यों ने भी राज्य में विरोध प्रदर्शन किया।

4 मई की घटना के चश्मदीदों में से एक हाहत वैफेई ने दावा किया कि बी फीनोम के ग्रामीणों ने पिछले दिन भीड़ के इसी तरह के प्रयास को विफल कर दिया था। 3 मई को राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है, और कई घायल हुए हैं, जब मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था।

मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 फीसदी हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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