नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने सरकार से मांग की है कि वह उस फैसले की समीक्षा करे जिसमें शहीदों या सेना के ऑपरेशन के दौरान दिव्यांग हुए सैनिकों के बच्चों को मिलने वाली शैक्षणिक सहायता की अधिकतम राशि 10,000 रुपये प्रति माह तय की गई है। सरकार के इस फैसले से करीब 3,400 सैनिकों के बच्चे प्रभावित होंगे।
1972 की योजना के अनुसार पहले स्कूल, कॉलेज और व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों में ट्यूशन फीस पूरी तरह से माफ रहती थी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में एडमिरल लांबा ने कहा है कि इन बच्चों को फीस में छूट देना सैनिकों द्वारा देश की रक्षा के प्रति दिए गए योगदान को सम्मान देने जैसा है। उन्होंने लिखा है कि छोटी सी सहायता देकर हम यह बता सकते हैं कि देश की बहादुर महिलाओं और पुरुषों के योगदान और उनके त्याग को सरकार महत्व देती है।
एडमिरल लांबा ने यह पत्र चेयरमैन ऑफ चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) की हैसियत से लिखा है। जुलाई में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद यह सीमा लगाई गई थी। हालांकि इस साल एक जुलाई को सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें ट्यूशन फीस की अधिकतम सीमा 10,000 रुपये तय की गई थी। इसे लेकर सैनिकों और पूर्व सैनिकों में काफी रोष है।