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महिला एयरफोर्स ऑफिसर रेप मामले में NCW ने टू फिंगर टेस्ट पर लिया स्वत: संज्ञान, भारतीय वायु सेना के डॉक्टरों को लगाई फटकार

कोयंबटूर जिले के कॉलेज में ट्रेनिंग देने वाले एक एयरफोर्स लेफ्टिनेंट पर अपनी सहकर्मी महिला पर रेप का...
महिला एयरफोर्स ऑफिसर रेप मामले में  NCW ने टू फिंगर टेस्ट पर लिया स्वत: संज्ञान, भारतीय वायु सेना के डॉक्टरों को लगाई फटकार

कोयंबटूर जिले के कॉलेज में ट्रेनिंग देने वाले एक एयरफोर्स लेफ्टिनेंट पर अपनी सहकर्मी महिला पर रेप का आरोप लगा था। रविवार को गांधीपुरम ऑल वुमेन पुलिस ने लेफ्टिनेंट को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद भारतीय वायु सेना के डॉक्टरों द्वारा महिला का टू- फिंगर टेस्ट किया गया। इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मीडिया रिपोर्ट पर राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना बताते हुए टू-फिंगर टेस्ट को लेकर निंदा की है। साथ ही आयोग ने वायुसेना प्रमुख से कहा है कि, वे इस मामले में दोषी डॉक्टर एंव अन्य अधिकारियों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करें।

आयोग ने भारतीय वायु सेना के एयर चीफ मार्शल को इस मामले पर आवश्यक कदम उठाने और वायु सेना के डॉक्टरों को टू- फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक बताते हुए सरकार और आईसीएमआर  द्वारा तय मौजूदा दिशानिर्देशों के बारे में जरूरी जानकारी मुहैया कराने को कहा है। आयोग ने भेजे अपने नोटिस में कहा कि, यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवेहलना है। इसके साथ ही नोटिस में लिखा गया कि महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा वर्मा ने इस संबंध में वायु सेना प्रमुख को पत्र लिखकर मामले पर संज्ञान लेने के लिए कहा है।

आयोग ने आगे कहा, राष्ट्रीय महिला आयोग पूरी तरह से निराश है और पीड़ित पर प्रतिबंधित टू- फिंगर टेस्ट करने वाले भारतीय वायु सेना के डॉक्टरों की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता है, जिससे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन हो रहा है और पीड़ित की निजता और गरिमा के अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है।

29 साल की महिला एयरफोर्स ऑफिसर ने बताया की 10 सितंबर को बास्केटबॉल खेलते हुए उसके पैर में दर्द शुरू हो गया, जिसके बाद वह दर्द की दवाई खाकर सोने चली गई। महिला अधिकारी ने बताया कि आधी रात को जब उसकी आंखें खुली तो वह खुद को देखकर हैरान रह गई। उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे, और सामने वाले आरोपी के शरीर पर भी कपड़े मौजूद नही थे।

बता दें कि, टू फिंगर टेस्ट के दौरान पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में दो उंगली डालकर टेस्ट किया जाता है। ऐसा करने के पीछे ये पता लगाना होता है कि वहां हायमन मौजूद है या नहीं। यानी ये जानने की कोशिश की जाती है कि महिला ने पहले शारीरिक संबंध बनाए थे या नहीं। भारत में साल 2014 में ही टू फिंगर टेस्ट पर रोक लगा दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने टू फिंगर टेस्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि ये प्रक्रिया वैज्ञानिक नहीं है।

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