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‘भारतीय फार्मा के विकास के लिए अनुसंधान एवं नवाचार पर निवेश की जरूरत’

फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. एस.वी. वीरामणी ने कहा कि भारतीय...
‘भारतीय फार्मा के विकास के लिए अनुसंधान एवं नवाचार पर निवेश की जरूरत’

फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. एस.वी. वीरामणी ने कहा कि भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने में एक चुनौती अनुसंधान और नवाचार पर अपेक्षाकृत कम खर्च है, इसे बढ़ाने की जरूरत है।

ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर में शुरू हुए सीपीएचआई एण्ड पीमेक इंडिया 2023 प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नवाचार के महत्व पर प्रकाश डालते रहे हैं, जो उनके प्रेरक शब्दों, "जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान" में समाहित है।

भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग को व्यापक रूप से ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में मान्यता हासिल है। यह अनुपात के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा फार्मास्यूटिकल उद्योग है। इसका वर्तमान बाजार लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है। अगले दशक में इस उद्योग के 120-130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाने की संभावना है। इससे सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान लगभग 100 आधार अंकों तक बढ़ जाएगा।

फार्मास्युटिकल मैनुफैक्चरिंग को नया आयाम देते हुए मंगलवार को तीन दिवसीय दिल्ली-एनसीआर के ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर में सीपीएचआई एण्ड पीमेक इंडिया 2023 की शुरूआत हुई। भारतीय फार्मा सेक्टर को गति प्रदान करने वाला 16वां संस्करण अब तक सबसे बड़ा संस्करण है, जो फार्मास्युटिकल उद्योग में क्रान्तिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है। इस संस्करण में हिस्सा लेने वाले हितधारक फार्मा से जुड़े सभी पहलुओं जैसे मशीनरी, पैकेजिंग, एनालिटिकल इन्स्ट्रुमेन्ट्स, लैबोरेटरी तकनीकों, उपकरणों, सहायक अवयवों, इन्ग्रीडिएन्ट्स आदि पर विचार-विमर्श करेंगे।

इस मौके पर इन्फोर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने कहा कि भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग में अपार क्षमता है, यह विश्वस्तरीय निर्यात में 20 फीसदी योगदान देते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 25.3 बिलियन डॉलर (2.1 लाख करोड़) के आंकड़े तक पहुंच गया है। डोमेस्टिक एवं इंटरनेशनल प्लेयर्स की ओर से आर एंड डी में निवेश इनोवेशन को बढ़ावा दे रहा है। सरकार द्वारा आर एण्ड डी में 5000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ भारत विश्वस्तरीय हेल्थकेयर के विकास में मुख्य लीडर के रूप में उभरा है।

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