मुखर्जी का नागरिक अभिनंदन किया गया तथा काठमांडो के नगर निगम प्रमुख रूद्रसिंह तमांग ने शहर की चाबी उन्हें सौंपी। मुखर्जी ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि काठमांडो न केवल नेपाल की राजनीतिक राजधानी बल्कि क्षेत्रा के लोगों के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र भी है।
उन्होंने लिखा, मैं विशेष तौर पर इस पवित्र शहर की एक बार फिर यात्रा कर प्रसन्न हूं। यह कहने की जरूरत नहीं कि मेरी पिछली यात्रा के बाद से काठमांडो में काफी विस्तार हुआ है। मैं काठमांडो मेटोपाॅलिटन शहर कार्यालय को इसके लिए बधाई देता हूं कि उसने अपरिहार्य चुनौतियों के बावजूद इस तेजी से बढ़ते शहर का प्रबंधन करने में एेसा समर्पण दिखाया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड सहित मौजूद अन्य लोगों को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा, नेपाल की मेरी यात्रा एक तरह की तीर्थयात्रा भी है। यह दोनों देशों के बीच पहले से अधिक समझ और सहयोग को बढ़ाने के लिए मित्रता का एक मिशन है।
उन्होंने कहा, हमारे हजारों नागरिक पशुपतिनाथ और मुक्तिनाथ के पवित्र मंदिर में शांति की तलाश में नेपाल की यात्रा करते हैं। इसी तरह से नेपाल के लोग आध्यात्मिक प्रेरणा की तलाश में उत्तर में वाराणसी और दक्षिण में रामेश्वरम की यात्रा करते हैं।
80 वर्षीय मुखर्जी नेपाल की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं। उन्होंने अपने दिन की शुरूआत एेतिहासिक पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा करके की। मंदिर में 108 बटुकों ने स्वस्ति मंत्रों के बीच उनका स्वागत किया गया। मुखर्जी ने मंदिर में रूद्राभिषेक किया। भाषा एजेंसी