हाल में गंगा नदी में तैरते मिले शवों के मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। एनएचआरसी ने मामले में केंद्र, यूपी और बिहार की सरकारों को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले लोगों के मुताबिक नरही इलाके के उजियार, कुल्हड़िया और भरौली घाट पर कम से कम 52 लाशें बहती हुई दिखाई दी हैं।
आयोग ने नोटिस में कहा है कि प्रशासनिक अधिकारी जनता को जागरूक करने और गंगा नदी में अधजली या बिना जली लाशों को बहाने से रोकने में नाकाम रहे हैं। पवित्र नदी गंगा में शवों को बहाना साफ तौर पर जल शक्ति मंत्रालय के स्वच्छ गंगा अभियान के तहत जारी किए दिशा निर्देशों का उल्लंघन है।
आयोग में 11 मई को यह शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ता ने कहा है कि कई मीडिया रिपोर्ट्स में आशंका जाहिर की गई है कि नदी में बहाए जा रहे शव कोरोना संक्रमितों के हो सकते हैं। ऐसे में शवों को इस तरह बहाना उन लोगों के लिए गंभीर हो सकता है जो अपनी रोजमर्रा के जीवन में नदी पर निर्भर है।
शिकायतकर्ता ने कहा है कि अगर ये शव कोरोना संक्रमितों के नहीं भी हैं तो भी इस तरह नदी में लाशें बहाना समाज के लिए शर्मिंदा करने वाला कृत्य है क्योंकि यह मृत व्यक्ति के मानवाधिकारों का भी हनन है। शिकायतकर्ता ने आयोग से मामले मे हस्तक्षेप की मांग की है और उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। बता दें कि बिहार और गाजीपुर में गंगा में शवों के तैरते पाए जाने पर लोगों में हडकंप मच गया था। बिहार प्रशासन ने शवों को यूपी का बताया था तथा नदी किनारों पर गश्त बढा दी थी।