राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने तेलंगाना में बोर्ड परीक्षा में कथित ‘गड़बड़ी’ के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। बीते हफ्ते तेलंगाना बोर्ड परीक्षा परिणामों में कथित अनियमितताओं के चलते सात दिनों के भीतर 19 छात्रों की आत्महत्या का गंभीर मामला सामने आया था। ये संख्या बढ़कर 21 हो गई है। इसके बाद परिजनों के प्रदर्शनों और आत्महत्या की घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने अनुत्तीर्ण हुए 3 लाख से ज्यादा छात्रों की उत्तर पुस्तिका दोबारा चेक करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमिटी बनाई है।
प्राइवेट फर्म को दी गई थी परीक्षा परिणाम तैयार करने की जिम्मेदारी
आयोग ने तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इस संबंध में चार सप्ताह के अंदर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने परीक्षा नामांकन और परिणाम तैयार की जिम्मेदारी ग्लोबारेना टेक्नोलॉजी नामक प्राइवेट आईटी फर्म को दी थी। तेलंगाना पैरेंट एसोसिएशन (टीबीए) का आरोप है कि परिणामों में गलती ग्लोबारेना टेक्नोलॉजी की वजह से हुई है। माना जा रहा है कि इस फर्म पर कार्रवाई की जा सकती है। पिछली सरकार ने इस फर्म पर बैन लगा दिया था।
तेलंगाना के शिक्षा मंत्री जी जगदीश रेड्डी ने कहा है कि मामले में कमिटी का गठन किया गया है जो पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ग्लोबारेना के सिस्टम में कोई तकनीकी खराबी थी या नहीं। उन्होंने कहा कि कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जबकि ग्लोबारेना के सीईओ वीएनएन राजू ने अपनी कंपनी का बचाव करते हुए कहा, “जो भी शुरुआती परेशानियां हुई थीं, उन्हें ठीक कर लिया गया था। इतने बड़े स्तर पर हमसे कोई गलती नहीं हुई है, जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं।”
18 अप्रैल को परिणाम हुए थे घोषित
राज्य में 18 अप्रैल को तेलंगाना बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एजुकेशन (टीएसबीआईई) ने 9वीं और 12वीं क्लास की परीक्षा परिणाम घोषित किए गए थे। राज्य स्तर के परिणाम बताते हैं कि परीक्षा देने वाले 9 लाख 74 हजार छात्रों में से करीब 3 लाख 28 हजार छात्र फेल हो गए। इसके बाद छात्रों के परिजनों ने उत्तर पुस्तिका दोबारा चेक करने की मांग करते हुए व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किए।
इसके साथ ही नतीजे आने के बाद से अब तक आत्महत्या के 21 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले चार साल में इंटर के नतीजे आने के बाद आत्महत्या के ये सबसे ज्यादा मामले हैं।
डिप्रेशन में जा रहे हैं छात्र
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही से बिना सही तरीके से चेक किए, नतीजे जारी कर दिए गए, इसे छात्र डिप्रेशन में जा रहे हैं या आत्महत्या का रास्ता अपना रहे हैं। इससे पहले पिछले साल 2018 में 6 छात्रों ने नतीजे आने के बाद आत्महत्या की थी जबकि 2015 और 2016 में कोई जान नहीं गई थी। 2017 में एक छात्र ने जान दे दी थी।
एक हफ्ते बाद भी जारी हैं घटनाएं
यही नहीं, हर साल नतीजे आने के एक-दो दिन बाद तक ऐसी घटनाएं सामने आती थीं जबकि इस बार एक हफ्ते बाद भी ये जारी हैं। बता दें कि तेलंगाना में 18 अप्रैल को इंटर के नतीजे घोषित किए गए थे। मंगलवार दोपहर 17 साल की एस ज्योति ने खुद को आग लगाकर जान दे दी। 19 साल की मीठी और 18 साल के सी राजू ने फांसी लगा ली।