राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कश्मीर घाटी में टेरर फंडिंग के केस में अपना शिकंजा कस दिया है। मंगलवार को एनआईए ने तीन प्रमुख अलगाववादी नेताओं आसिया आंद्राबी, शब्बीर शाह और मसरत आलम को गिरफ्तार कर दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें 10 दिन की एनआईए कस्टडी में भेज दिया गया। यह मामला 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना और जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ा हुआ है।
एनआईए ने तीनों की 10 दिन की कस्टडी की मांग की थी
एनआईए ने कोर्ट के सामने कहा कि कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी के मामलों में तीनों से पूछताछ जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने पत्थरबाजी के मामले में तीनों की गिरफ्तारी की इजाजत दे दी। एनआईए ने तीनों की 10 दिन की कस्टडी की मांग की थी। इससे पहले कोर्ट की इजाजत के बाद एनआईए की टीम ने कोर्ट रूम में ही पत्थरबाजी की घटनाओं में उनकी भूमिका को लेकर तीनों से अलग-अलग पूछताछ की है।
बता दें कि इससे पहले शब्बीर शाह और अंद्राबी अलग-अलग मामलों में (शाहमनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी ग्रुपों को धन पहुंचाने और आसिया अंद्राबी पाकिस्तान की शह पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में) जेल में बंद थे।
इन अपराधों के तहत आरोप पत्र दायर
आरोपियों के खिलाफ जिन अपराधों के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है उनमें आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र) और गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धाराएं शामिल हैं। इन तीनों अलगाववादियों की 10 दिन की हिरासत मिलने के बाद एनआईए घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं के मामले में तीनों को एक साथ बैठाकर पूछताछ करेगी।
दो साल पहले दर्ज किया गया था ये मामला
आज जिस टेरर फंडिंग मामले में एनआईए कोर्ट ने मसरत आलम के साथ इन दोनों की गिरफ्तारी की इजाजत दी है, ये दो साल पहले दर्ज किया था। पिछले साल जनवरी में एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमें हाफिज सईद, सैय्यद सलाहुद्दीन और दस बाकी कश्मीरी अलगाववादियों को आरोपी बनाया गया था।
दिल्ली समेत 60 से ज्यादा जगहों पर रेड
एनआईए का कहना था कि जम्मू कश्मीर, हरियाणा, दिल्ली के 60 से ज्यादा जगहों पर रेड करके करीब 600 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और 950 से ज्यादा दस्तावेज बरामद किए थे। एनआईए के मुताबिक, इस मामले के आरोपी हुर्रियत नेता, आतंकवादी और पत्थरबाज मिलकर आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं और एक सोची समझी साजिश के तहत जम्मू कश्मीर में अशांति फैलाई जा रही है।
एनआईए के मुताबिक, पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों और एजेंसियों के जरिए जम्मू कश्मीर में मौजूद अलगाववादी तत्वो को फंडिंग हो रही है। एनआईए का कहना कि घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं के पीछे की फंडिंग के बारे में तहकीकात के लिए एक साथ तीनों से पूछताछ करना जरूरी है, लिहाजा रिमांड जरूरी है।