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निर्भया मामले में दोषियों की फांसी की नई तारीख के लिए जेल प्रशासन पहुंचा कोर्ट

निर्भया के तीन दोषियों के कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन गुरुवार को पटियाला हाउस...
निर्भया मामले में दोषियों की फांसी की नई तारीख के लिए जेल प्रशासन पहुंचा कोर्ट

निर्भया के तीन दोषियों के कानूनी विकल्प खत्म होने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचा तथा नया डेथ वारंट जारी करने का अनुरोध किया है। जेल प्रशासन की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दोषियों समेत सभी संबंधित पक्षों से जबाव मांगा है। मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को केंद्र और दिल्ली सरकार की उस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने से इनकार कर दिया था। केंद्र और दिल्ली सरकार ने बुधवार शाम को ही हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।

गुरुवार को जेल अधिकारियों ने अदालत को बताया कि चार में से तीन मौत की सजा के दोषियों ने अपने कानूनी उपचार समाप्त कर दिए हैं। राष्ट्रपति ने बुधवार को एक दोषी, अक्षय द्वारा दायर दया याचिका को खारिज को खारिज कर दिया है। इसके अलावा अक्षय, मुकेश और विनय ने अपने कानूनी उपचारों को समाप्त कर दिया है। चौथे दोषी, पवन ने अभी तक उपचारात्मक और दया याचिका के उपाय का लाभ नहीं उठाया है, जो उसके लिए अंतिम न्यायिक और संवैधानिक सहारा होगा।

दोषी सात दिन में पूरे करें सभी विकल्पः हाई कोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दोषियों को जल्द फांसी पर लटकाने की केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा, दोषियों को अलग अलग नहीं, बल्कि एक साथ ही फांसी दी जाएगी। कोर्ट ने दोषियों को सात दिन के भीतर उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया। इसके बाद डेथ वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू होगी। साथ ही कोर्ट ने 2017 में सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की अपील खारिज होने के बाद डेथ वारंट जारी करने के लिए कदम नहीं उठाने को लेकर संबंधित अधिकारियों को भी फटकार लगाई।

लंबित याचिका पर टल जाती है फांसी

हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने अपने फैसले में कहा कि जेल मैनुअल के नियम 834 और 836 के मुताबिक अगर एक ही मामले में एक से ज्यादा सजा पाए दोषियों की याचिका लंबित रहती है तो फांसी टल जाती है। निचली अदालत ने सभी को एक साथ दोषी ठहराया था। उनका अपराध बेहद क्रूर और जघन्य था। इसका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत कुछ कानूनी उपाय उनको भी मिले हैं, जिनका उन्होंने इस्तेमाल किया। 

केंद्र और दिल्ली सरकार ने निचली अदालत के 31 जनवरी के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने दोषी मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। अक्षय, मुकेश और विनय की दया याचिका खारिज हो चुकी है, जबकि पवन ने अभी इसे दायर नहीं किया है।

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