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अयोध्या मामले में केंद्र की याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा निर्मोही अखाड़ा

अयोध्या मामले के पक्षकारों में एक निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दी है।...
अयोध्या मामले में केंद्र की याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा निर्मोही अखाड़ा

अयोध्या मामले के पक्षकारों में एक निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में नई अर्जी दी है। इसमें  अखाड़े ने केंद्र की उस याचिका का विरोध किया है जिसमें उसने विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के आसपास 67.390 एकड़ ‘अविवादित’ अधिग्रहित भूमि को मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगी है। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में फैसला दिया था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर 2.77 एकड़ विवादित भूमि तीन बराबर हिस्सों में बांटी जाएगी और उसे निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और राम लला को दिया जाएगा।

निर्मोही अखाड़े ने अपनी नयी अर्जी में केंद्र की याचिका का विरोध किया है जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट के 2003 के फैसले में संशोधन की अपील की है। 

अधिग्रहित जमीन पर कई मंदिर

अखाड़े ने याचिका में कहा है कि केंद्र ने राम जन्मभूमि न्यास को अधिग्रहित भूमि लौटने का प्रस्ताव दिया है और अधिग्रहित जमीन पर कई मंदिर हैं। अगर जमीन किसी एक पक्ष को दी गई तो इससे उनके अधिकार प्रभावित होंगे।

मध्यस्थता के लिए गठित की कमेटी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस भूमि विवाद का मैत्रीपूर्ण हल निकालने के लिए मध्यस्थतों को नियुक्त किया था। इसके लिए रिटायर्ड जस्टिस इब्राहिम कलीफुल्ला की अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इसमें आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर और सीनियर एडवोकेट श्रीराम पंचू शामिल हैं।

14 अपील पर पीठ कर रही है सुनवाई

इस मामले की सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ कर रही है जिसमें प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर हैं। कोर्ट विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई कर रही है।

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