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वंदे मातरम् को जन-गण-मन जैसा दर्जा नहीः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को स्कूलों में गाए जाने को जरूरी बनाने की अपील पर किसी बहस में पड़ने से इनकार कर दिया। जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने शुक्रवार को संविधान के अनुच्छेद 51 ए (ए) का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसी अपील सिर्फ राष्ट्रगान जन-गण-मन और राष्ट्रीय ध्वज के मामले में मंजूर की जा सकती है, राष्ट्रगीत के मामले में नहीं।
वंदे मातरम् को जन-गण-मन जैसा दर्जा नहीः  सुप्रीम कोर्ट

 सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जहां तक राष्ट्रगीत का सवाल है, हमारा किसी बहस में पड़ने का इरादा नहीं है।  मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस मोहन एम शांतानागौदर भी शामिल थे।

 बेंच राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगीत को बढ़ावा देने और उनका प्रचार करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने के मकसद से निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने इसी मसले पर लंबित पड़ी ऐसी ही एक दूसरी याचिका पर भी सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।

 सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को संसद, या राज्य विधान सभा, कार्यालय, कोर्ट और स्कूलों में हर दिन गाए जाने के लिए निर्देश देने की अपील की गई थी।  लेकिन कोर्ट ने कहा कि ऐसा निर्देश सिर्फ स्कूलों में होने वाली प्रार्थना के लिए दिया जा सकता है
 बेंच ने कहा कि हाल ही में दाखिल रिट याचिका में अटॉर्नी जनरल ने स्कूलों से जुड़ा विवाद उठाया था, इसलिए जहां तक स्कूलों में हर कार्य दिवस पर होने वाली प्रार्थना की बात है तो वहां राष्ट्रगान होना चाहिए। लेकिन इसे जरूरी बनाए जाने के बारे में कोई निर्देश देना जल्दबाजी होगी, हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि हम इस पर कोई राय दे रहे हैं।

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