बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन उत्पीड़न मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से कहा गया कि बच्चों की हत्या का कोई सबूत नहीं है। शेल्टर होम में किसी लड़की की हत्या नहीं हुई। जो दो कंकाल मिले थे, वह फॉरेंसिंक जांच में एक महिला और पुरुष के पाए गए।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और दो अधिकारियों को जांच टीम से राहत देने की अनुमति दी। सीबीआई की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शेल्टर होम से जो नर कंकाल मिले हैं, वे नाबालिगों के नहीं हैं।
मिली हड्डियां बालिगों की थीं
सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि जिनकी हत्या का शक जताया गया था वो सारी लड़कियां जीवित पाई गई हैं। वहां से मिली हड्डियां कुछ अन्य बालिगों की पाई गईं हैं। शेल्टर होम में किसी भी नाबालिग की हत्या नहीं की गई थी। जांच एजेंसी ने कहा कि चार प्रारंभिक जांच में किसी आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला सबूत नहीं मिला और इसलिए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।
अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश
सीबीआई ने कहा कि शेल्टर होम से जुड़े सभी 17 मामलों की जांच की गई जिसमें 13 में आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं, जबकि चार मामलों में शुरुआती जांच की गई और पाया गया कि कोई सबूत उसके खिलाफ नहीं हैं। जो चार्जशीट दाखिल की गई है उनमें गया, भागलपुर, पटना , मोतिहारी, कैमूर और अररिया में चार्जशीट हुई है। मुंगेर, मोतिहारी, मुफ्फरपुर और मधेपुरा मामले में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई है। जिलाधिकारियों सहित लिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिश की गई है।
बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों और लड़कियों से रेप होने की बात सामने आई थी। इस मामले में शेल्टर होम का संचालक ब्रजेश ठाकुर प्रमुख आरोपी है। मामले में ब्रजेश ठाकुर के अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी आरोपी हैं। मामले के सुर्खियों में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे बिहार से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था, जिसके बाद साकेत कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है।