कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के 105 दिन हो गए हैं। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसानों की टीमें विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों में जाएंगी और लोगों से अपील करेंगी कि भाजपा को छोड़कर वे किसी को भी वोट करें। हमने टीमों के गठन का फैसला किया है।
इससे एक दिन पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन को आगे बढ़ाने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए 15 मार्च से 28 मार्च तक आंदोलन का खाका पेश किया। इसके तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर 26 मार्च को एक बार फिर भारत बंद का आह्वान किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, 17 मार्च को मजदूर संगठनों और अन्य जन अधिकार संगठनों के साथ 26 मार्च के प्रस्तावित भारत बंद को सफल बनाने के लिए एक कन्वेंशन किया जाएगा। मोर्चा ने कहा कि 15 मार्च को कॉरपोरेट विरोधी दिवस और सरकार विरोधी दिवस मनाया जाएगा, जिसमें डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं के बढ़ रहे दामों के खिलाफ डीएम और एसडीएम को ज्ञापन देकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
उसी दिन देश भर के रेलवे स्टेशनों पर मजदूर संगठनों के साथ निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके बाद 19 मार्च को मुजारा लहर का दिन मनाया जाएगा और एफसीआई और खेती बचाओ कार्यक्रम के तहत देश भर की मंडियों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। फिर 23 मार्च को शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर देश भर के नौजवान दिल्ली सीमा पर किसानों के धरनों में शामिल होंगे। अंत में 28 मार्च को देश भर में होली दहन में नए कृषि कानून जलाए जाएंगे।
बता दें कि पिछले साल 26 नवंबर से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। अब तक इस आंदोलन के दौरान 280 से ज्यादा किसानों की मौत भी हो चुकी है। वहीं मुद्दे के हल के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है।