उड़ने के सपने हों और हासिल करने की जिद तो कठिन कुछ भी नहीं। झारखंड के हजारीबाग जिला के बड़कागांव ब्लॉक के पंडरिया निवासी इंद्रजीत ने इसे सच कर दिखाया है। उसके जुनून ने उसे एक मुकाम तक पहुंचा दिया है। इंद्रजीत अब 34 साल का है। रोटी के इंतजाम में काम की तलाश में मसूरी गया था मगर अब वह पर्वतारोही बन गया है। ऊंचे-ऊंचे कई पहाड़ नाप चुका है। प्रशिक्षक बन चुका है।
बड़कागांव में ही प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। मैट्रिक पास किया। फिर काम की तलाश में उत्तराखंड के मसूरी पहुंच गया। स्थानीय प्रभात खबर लिखता है कि पचास रुपये रोजाना पर मसूरी में राज मिस्त्री के साथ ईंट-बालू ढोने वाले दिहाड़ी मजदूर का काम करने लगा। इसी पैसे से इंटर की पढ़ाई के साथ तीन साल का पवर्तारोहण का प्रशिक्षण हासिल किया। बेसिक माउंटेन, एडवांस माउंटेन ट्रेनिंग के बाद मेथड ऑफ इंस्ट्रक्शन ट्रेनिंग की शिक्षा ली। सीखने का सिलसिला 2006 से 2012 तक चला। इसके बाद नॉर्दन हॉलीडेज में योगदान दिया फिर ब्रैंडवुड सेंचुरी टाइम ऑफ रिसोर्ट के प्रशिक्षक बन गये।
इंद्रजीत बीस हजार फीट से अधिक ऊंचाई के कई पर्वतों को नाप चुके हैं। उत्तर काशी में द्रौपदी डंडी पर्वत, गंगोत्री पर्वत, भागीरथ पर्वत, स्वर्ण रोहनी पर्वत, बंदर पुष्प पर्वत आदि पर चढ़ाई की है। अभी मसारी के ब्रैंडवु सेंचुरी कैंप ऑफ रिजार्ट में पर्वतारोहण के प्रशिक्षक हैं। मौका मिलता है तो झारखंड के युवाओं को भी प्रशिक्षण देते हैं। पहाड़ों के प्रदेश झारखंड में इंद्रजीत के लिए संभावनाएं तो हैं अगर कोई साथ देने वाला हो।