फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ सीबीआई की एक टीम ओडिशा के बालासोर पहुंची और मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू की। वह अपनी जांच के बाद दायर की गई चार्जशीट में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है।
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुई ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना में 278 लोगों की मौत हो गई और 1,100 से अधिक घायल हो गए। कोरोमंडल एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे उसके कई डिब्बे पटरी से उतर गए। पटरी से उतरे ये डिब्बे बगल के ट्रैक पर चल रही एक अन्य यात्री ट्रेन से टकरा गए, जिससे इसके कुछ डिब्बे भी पटरी से उतर गए।
रेलवे ने ड्राइवर की गलती और ओवर-स्पीडिंग और तोड़फोड़ की संभावना पर संकेत के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद सीबीआई ने मामला द्रर्ज किया है।सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और रेलवे अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मूल रूप से सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को फिर से दर्ज किया है।
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, "केंद्रीय जांच ब्यूरो ने रेल मंत्रालय के अनुरोध, ओडिशा सरकार की सहमति और डीओपीटी (भारत सरकार) के अगले आदेशों पर मामला दर्ज किया है। 2 जून, 2023 को ओडिशा राज्य में कोरोमंडल एक्सप्रेस, यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस और बहनागा बाजार में एक मालगाड़ी से जुड़ी रेल दुर्घटना से संबंधित है।"
3 जून को बालासोर जीआरपी द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिया। मामला IPC की धारा 337, 338, 304A (लापरवाही से मौत का कारण) और 34 (सामान्य इरादे), और धारा 153 (रेल यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाली गैरकानूनी और लापरवाह कार्रवाई), 154 और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत रेलवे अधिनियम के तहत दर्ज किया गया।
प्रक्रिया के अनुसार, सीबीआई स्थानीय पुलिस मामले को अपनी प्राथमिकी के रूप में फिर से दर्ज करती है और जांच शुरू करती है, वह अपनी जांच के बाद दायर की गई चार्जशीट में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है।
बालासोर ट्रेन दुर्घटना भारतीय इतिहास में सबसे खराब घटनाओं में से एक के रूप में सामने आई है। यह सामने आया है कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में कोई समस्या थी जो दुर्घटना का "मूल कारण" है। हालांकि, उस मुद्दे की वजह क्या थी, इसकी जांच सीबीआई द्वारा की जानी है। संभावित तोड़-फोड़ के अलावा, सीबीआई दुर्घटना स्थल के पास सिस्टम की विफलता और गड़बड़ी की मरम्मत की संभावना पर भी गौर करेगी।
सीबीआई को रेलवे के कामकाज से निपटने में बहुत कम विशेषज्ञता हासिल है, उसे मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा और फोरेंसिक विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है।