भारत में मेडिकल सुविधाओं के खस्ता हाल की खबरें सामने आती रहती हैं। डॉक्टरों पर कितना बोझ है इसका अंदाजा केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए एक आंकड़े से पता चलता है। आंकड़े के मुताबिक, भारत में 11,082 की जनसंख्या पर एक सरकारी एलोपैथी डॉक्टर है। सामान्य तौर पर 1000 लोगों पर एक डॉक्टर का औसत होना चाहिए लेकिन यह दस गुना ज्यादा है। यह बात नेशनल हेल्थ प्रोफाइल (एनएचपी), 2018 में सामने आई है। यह बीमारी, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ फाइनेंस का सालाना आंकड़ा है। इसमें अलग-अलग राज्यों की स्थितियों पर भी बात की गई है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह आंकड़ा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार को जारी किया। इसमें यह भी बात सामने आई है कि कई राज्यों में डॉक्टर और लोगों का औसत बहुत ज्यादा है। बिहार में 28,391 की जनसंख्या पर एक डॉक्टर है। दिल्ली में 2,203 लोगों पर एक डॉक्टर है।
इसके मुताबिक, सबसे ज्यादा औसत वाले राज्य यूपी (19,962), झारखंड (18,518), मध्य प्रदेश (16,996), छत्तीसगढ़ (15,916), कर्नाटक (13,556) हैं। कम औसत वाले राज्यों में दिल्ली (2,203), नॉर्थ-ईस्ट राज्य, अरुणाचल प्रदेश (2,417), मणिपुर (2,358) और सिक्किम (2,437) शामिल हैं।
2016 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में केवल 25,282 डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन हुआ जबकि 2017 में यह संख्या घटकर 17,982 हो गई।
नड्डा ने बताया कि एनएचपी स्वास्थ्य योजनाओं जैसे 'आयुष्मान भारत' के लिए आधार हैं। यह एक इंडिकेटर है जिससे कार्यक्रमों को संचालित करने में मदद मिलेगी।
राज्यों में बीमारियों की बात करें तो पश्चिम बंगाल में मलेरिया से सबसे ज्यादा मौत मलेरिया (29) और चिकन पॉक्स (53) से हुईं। बिहार में 70 फीसदी केस काला अजर बीमारी के पाए गए। भारत ने इस बीमारी को 2017 में खत्म करने का लक्ष्य रखा था लेकिन सफलता नहीं मिली।
डेंगू के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है। 2016 में डेंगू के 1,29,166 मामले सामने आए, जो 2017 में बढ़कर 1,57,996 हो गए। 2016 में डायरिया की वजह से 1,555 लोग मारे गए जबकि 2017 में 1,331 लोग इसका शिकार बने।