Advertisement

जन्मदिन के बहाने देश के हालात पर बुद्धिजीवियों की चिंता

जन्मदिन तो सभी मनाते हैं लेकिन उस जन्मदिन को एक संगोष्ठी के रूप में मनाना सार्थक कार्य है और उस...
जन्मदिन के बहाने देश के हालात पर बुद्धिजीवियों की चिंता

जन्मदिन तो सभी मनाते हैं लेकिन उस जन्मदिन को एक संगोष्ठी के रूप में मनाना सार्थक कार्य है और उस संगोष्ठी में छीजती आज़ादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बात करना काफी मानीखेज है। हिंदी के प्रसिद्ध कवि संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी के 82 वें जन्मदिन पर देश के जाने माने बुद्धिजीवियों ने नफरत की राजनीति की कड़ी निंदा करते हुए मौजूदा हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की।

भारत पाक विभाजन से लेकर शाहीन बाग न्यायपालिका की गिरती साख मीडिया के कारपोरेटीकरण और सत्ता के अमानवीयकरण पर चर्चा हुई।चर्चा करनेवालों में इतिहासकार वकील फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट भी थीं।

देश के प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों ने देश के प्रसिद्ध इतिहासकार और फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट उमा चक्रवर्ती ने कहा है कि भारत पाक विभाजन के समय जिस तरह देश में नफरत का माहौल बनाया गया था ,वैसी ही स्थिति अब देश में फिर से उत्पन्न हो गई है और लगता ही नहीं है कि यह वही मुल्क है जिसके बारे में हम लोगों ने आजादी का सपना देखा था। 82 वर्षीय श्री चक्रवर्ती ने कल शाम अशोक वाजपेयी के 82 वें जन्मदिन पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह चिंता व्यक्त की।

इस संगोष्ठी में स्त्रीवादी लेखिका और देश की पहली महिला प्रकाशक उर्वशी बुटालिया, सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट शाहरुख आलम और असम के वकीलअमन वदूद भी शामिल थे।

श्रीमती चक्रवर्ती ने कहा कि वह जब 6 या 7 वर्ष की थी तो देश को आजादी मिली थी और उन्होंनेअपने पिता के साथ महात्मा गांधी की शव यात्रा में भी भाग लिया हुई थी। यह उनके बचपन की पहली धुंधली सी स्मृति है लेकिन उन्हें याद है कि उस समय देश में एक अजीब सा भयावह माहौल बन गया था हिन्दू मुस्लिम एक दूसरे को मार रहे थे लेकिन तब मैं उसे समझ नहीं पाई थी लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई उस नफरत के माहौल को अच्छी तरह समझने लगी।

उन्होंने कहा कि अब देश में फिर नफरत का माहौल बनाया जा रहा है और देश का मीडिया भी पूरी तरह से कारपोरेट की गिरफ्त में आ चुका है ।आज हम सच कह नहीं सकते और आपातकाल से भी बुरी हालत इस समय देश में पैदा हो गई है। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले एनआईए के लोग उन्हें अर्बन नक्सल बताते हुए उनसे पूछताछ करने उनके घर आये थे।जब वे पूछताछ कर जाने लगे तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनको खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि वह कोई राष्ट्र विरोधी नहीं हैं बल्कि वह भी इस देश की सच्ची नागरिक हैं और इस देश की आजादी का सपना उन्होंने भी देखा था तथा वह भी उतनी ही देशभक्त नागरिक हैं लेकिन आज अर्बन नक्सल बताया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश शाहरुख आलम ने न्यायपालिका की गिरती साख पर चिंता जताते हुए कहा कि न्यायपालिका की भाषा भी बदलती जा रही है और उसमें एक समुदाय के खिलाफ पूर्वग्रह साफ दिख रहा है।उन्होंने कहा कि कई बार तो जज जमानत देते हुए एक सम्प्रदाय विशेष के खिलाफ आपत्ति जनक टिप्पणियां भी कर रहे हैं।जो न्यायधीश अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए सत्ता प्रशासन की अनियमितताओं पर सवाल उठाते हैं उन्हें हटा दिया जाता है।दिल्ली दंगे की सुनवाई के दौरान एक जज को इसलिए हटा दिया गया।

उन्होंने कहा कि शाहीन बाग आंदोलनको इसलिए खत्म कर दिया गया क्योंकि इससे जनता को सड़क यातायात में मुश्किल हो रही थी जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद रोड शो कर ट्रैफिक जाम कर रहे हैं और पुलिस एडवाईजरी जारी कर रही है कि लोग आज घरों से न निकलें।

असम से आये वकील अमन वदूद ने एन आर सी के मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार अपने राजनीतिक फायदे और साम्प्रदायिक राजनीति के कारण अब असम को भी कश्मीर बना देगी और एन आर सी फिर लागू करेगी ताकि यह कश्मीर की तरह समस्या बनी रहे।

उन्होंने कहा कि कई निर्दोष लोगों को डिटेंशन कैम्प में वर्षों रखा गया और जबकि बाद में अदालत ने उन्हें वास्तविक नागरिक घोषित किया।अब तो सुप्रीम कोर्ट को यह आदेश जारी करना पड़ा कि किसी को तीन साल से अधिक समय तक नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि 1951 की जनगणना के अनुसार असम की 24 प्रतिशत आबादी मुस्लिम थी लेकिन यह गलत प्रचारित किया गया कि वे सब घुसपैठिए हैं। उन्होंने तीन मुस्लिम नागरिकों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने किस तरह वास्तविक नागरिकों को भी बंगलादेशी नागरिक घोषित कर दिया जबकि उनका परिवार 5 दशकों से रह रहा है।

समारोह में अशोक वाजपेयी ने कोरस श्रृंखला की तीन कविताएं कविताएं सुनाकर देश की बदतर हालत पर चिंता व्यक्त की लेकिन उन्होंने यह उम्मीद भी व्यक्त की कि जो लोग आज सत्ता के नशे में हैं उनका भी एक दिन खात्मा होगा। समारोह में प्रयाग शुक्ल मृदुला गर्ग मृणाल पांडेय सुधीर चन्द्र ओम थानवी हरीश त्रिवेदी विनोद भारद्वाज रश्मि वाजपयी उदयन वाजपयी आदि मौजूद थे।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad