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'नेहरू मेमोरियल' का नाम बदलने पर भड़का विपक्ष, आलोचना पर भाजपा ने दिया यह जवाब

केंद्र द्वारा सोमवार से आधिकारिक तौर पर नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) का नाम बदलकर...
'नेहरू मेमोरियल' का नाम बदलने पर भड़का विपक्ष, आलोचना पर भाजपा ने दिया यह जवाब

केंद्र द्वारा सोमवार से आधिकारिक तौर पर नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) का नाम बदलकर प्रधान मंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसायटी किए जाने पर कांग्रेसी अक्रोशित हैं। कांग्रेस के जयराम रमेश सहित अन्य नेताओं ने इसपर प्रतिक्रिया दी है। वहीं, भाजपा ने भी पलटवार किया है।

 

कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को नया नाम मिला। विश्व प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) पीएमएमएल-प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय बन गया है। श्री मोदी के पास भय, जटिलताओं और असुरक्षाओं का एक बड़ा बंडल है, खासकर जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री की आती है।"

 

"उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, विकृत करना, बदनाम करना और नष्ट करना है। उन्होंने 'एन' को मिटाकर उसकी जगह 'पी' डाल दिया है। वह 'पी' वास्तव में क्षुद्रता और चिड़चिड़ापन के लिए है। लेकिन वह स्वतंत्रता आंदोलन में नेहरू के विशालकाय योगदान और भारतीय राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदारवादी नींव में उनकी उपलब्धियों को छीन नहीं सकते।"

 

उन्होंने कहा, "इन पर अब श्री मोदी और उनके ढोल बजाने वालों का हमला हो रहा है। लगातार हमले के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने जीवित रहेगी और वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।"

 

 

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा, ''यह और कुछ नहीं बल्कि एक कुंठित मानसिकता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री थे। उनके नाम पर एक संस्था का नाम रखा गया और उनके दसवें दशक को प्रतिबिंबित करने के लिए एक संग्रहालय बनाया गया। यदि आपको (केंद्र) अन्य प्रधानमंत्रियों पर एक संस्था बनानी होती तो आप ऐसा कर सकते थे। लेकिन अगर आप कुछ दबाते हैं या हटाते हैं तो इसका मतलब है कि आपका मकसद कभी प्रदर्शन नहीं बल्कि भारत के स्वर्णिम इतिहास को दबाने का प्रयास था।"

 

 

शिव सेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा, ''उनके पास और क्या बचा है? आप इमारत का नाम बदल सकते हैं लेकिन आप इतिहास में वर्णित पंडित नेहरू का नाम नहीं बदल सकते। आप महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सावरकर जी द्वारा बनाए गए इतिहास को नहीं बदल सकते। आप उनके जैसा इतिहास नहीं बना सकते इसलिए आप नाम बदल रहे हैं।"

 

 

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, "नेहरू जी ने स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत योगदान दिया और स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलना मोदी सरकार के लिए अपमानजनक है। जवाहरलाल नेहरू ने इतनी लंबी लकीर खींच दी है कि उन्हें आपकी दया की जरूरत नहीं है। उनका नाम अमर है।"

 

 

बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद कहते हैं, ''कांग्रेस पार्टी और जयराम रमेश और पीएम नरेंद्र मोदी की सोच में बुनियादी अंतर है। वे (कांग्रेस) सोचते हैं कि केवल नेहरू जी और परिवार ही मायने रखते हैं। नरेंद्र मोदी ने देश के सभी पीएम को म्यूजियम में सम्मानजनक स्थान दिया।"

 

"लाल बहादुर शास्त्री को वहां जगह क्यों नहीं मिली? वहां न तो इंदिरा गांधी थीं, न राजीव गांधी, न मोरारजी देसाई, न चौधरी चरण सिंह, न अटल बिहारी वाजपेयी, न आईके गुजराल, न एचडी देवेगौड़ा। जब सभी प्रधानमंत्रियों को जगह मिल रही है तो यह प्रधानमंत्री स्मृति पुस्तकालय बन रहा है।''

 

 

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "ये देश सबका है। देश किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि व्यवस्था और संस्था से होता है। ये लोकतंत्र है। प्रधानमंत्री एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था हैं। इसलिए, संग्रहालय उन सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित किया गया है जिन्होंने इस देश की सेवा की।"

 

 

पीएमएमएल के उपाध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश ने विपक्ष की आलोचना पर जवाब दिया और कहा, "यदि आप अब नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) में आते हैं, तो आप तीन मूर्ति भवन देखेंगे - हमने नेहरू, आधुनिक भारत के उनके मंदिरों, हीराकुंड बांध, नागार्जुन सागर बांध, प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने के उनके विचार, योजना आयोग को कैसे प्रदर्शित किया है - जिसे इस बारे में कोई संदेह हो कि हमने पूरे नेहरू प्रश्न को कैसे संभाला है, वह आज संग्रहालय में आकर ज़रूर देखें।"

 

 

इससे पहले, पीएमएमएल के उपाध्यक्ष ने 'X' पर बताया था, "नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) अब 14 अगस्त, 2023 से प्रधान मंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसायटी है, जो समाज के लोकतंत्रीकरण और विविधीकरण के अनुरूप है। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!" 

 

 

गौरतलब है कि जून के मध्य में, एनएमएमएल सोसाइटी की एक विशेष बैठक के दौरान, इसका नाम बदलकर पीएमएमएल सोसाइटी करने का निर्णय लिया गया। संस्कृति मंत्रालय ने तब कहा था कि उसने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का फैसला किया है।

 

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