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संसद की पुरानी इमारत को लेकर भावुक हुए पक्ष विपक्ष के नेता, बोले "यह भावनात्मक क्षण है"

संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान मंगलवार को सदन की कार्यवाही पुरानी इमारत से नई इमारत में शिफ्ट...
संसद की पुरानी इमारत को लेकर भावुक हुए पक्ष विपक्ष के नेता, बोले

संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान मंगलवार को सदन की कार्यवाही पुरानी इमारत से नई इमारत में शिफ्ट की जाएगी। इसी बीच अपनी अपनी स्मृतियों को याद करते हुए भावुक सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों ने अलग अलग तरह से अपनी भावनाएं व्यक्त की। विशेष सत्र पर कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि अब स्पष्ट हुआ कि केंद्र सरकार इस स्थानांतरण को विशेष क्षण बनाना चाहती थी।

 

कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "... आज इस (पुराने) संसद भवन से बाहर निकलना हम सभी के लिए वास्तव में एक भावनात्मक क्षण है। हम सभी अपनी पुरानी इमारत को अलविदा कहने के लिए यहां मौजूद हैं। पंडित नेहरू ने कहा था कि संसदीय लोकतंत्र कई गुणों की मांग करता है, इसके लिए क्षमता, कार्य के प्रति समर्पण और आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है।

 

"हालांकि, उन्हें (पंडित नेहरू) संसद में भारी बहुमत प्राप्त था, फिर भी वे विपक्ष की आवाज़ सुनने में अथक थे और सवालों का जवाब देते समय कभी भी मज़ाक नहीं उड़ाया या टाल-मटोल नहीं किया। यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू जब संसद में भाषण देते समय अपनी समय सीमा पार कर जाते थे तो उनके लिए स्पीकर की घंटी बजती थी, इससे पता चलता है कि संसद के अपमान से परे कोई नहीं है। यह भारत में संसदीय लोकतंत्र के विकास में नेहरू का योगदान था।"

 

 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, ''वैसे यह इमारत यादों से भरी है जैसा कि पीएम ने भी कहा, यह इतिहास से भरा है। यह एक दुखद क्षण होगा। आशा करते हैं कि नई इमारत में संसद सदस्यों के लिए बेहतर सुविधाएं, नई तकनीक और अधिक सुविधा होगी। लेकिन फिर भी, ऐसे संस्थान को छोड़ना हमेशा एक भावनात्मक क्षण होता है जो इतिहास और यादों से भरा हो।"

 

"हम सभी थोड़ा भ्रमित थे कि यह क्यों आवश्यक था क्योंकि कई तरीकों से, कई बिलों के बारे में वे बात कर रहे थे जिन्हें बाद में पेश किया जा सकता था। लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार एक इमारत से दूसरी इमारत में स्थानांतरण को एक विशेष क्षण बनाना चाहती थी। उन्होंने इसे खास तरीके से करने की कोशिश की है। हम वहां के उद्देश्य को समझ सकते हैं।"

 

 

भाजपा सांसद जी किशन रेड्डी ने कहा, "पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन और पिछले 75 साल में भारत के सफर के बारे में बात की। नए संसद भवन का अपना महत्व है। स्टाफ बढ़ गया है और नई गतिविधियाँ हो रही हैं। यह हमारे लिए सौभाग्य की घटना है।"

 

 

केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी कहती हैं, ''जैसा कि पीएम मोदी ने कहा था कि बदलाव जीवन का हिस्सा है इस बदलाव में जैसे-जैसे समय बीतता है, इमारतें और लोग भी बदलते हैं। इस पुरानी इमारत (संसद की) में बहुत पुरानी इमारत है हमने यहां अनुच्छेद 370 को हटाए जाने, जीएसटी लागू होते देखा। इस जगह से कई यादें जुड़ी होंगी। नए संसद भवन से नई यादें जुड़ी होंगी।"

 

 

एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने कहा, ''इस संसद के इतिहास पर चर्चा के लिए घंटे, दिन और महीने कम पड़ जाएंगे। लेकिन फिर भी हमारे प्रधानमंत्री ने संसद की 75 साल की यात्रा का संक्षेप में कितना सुंदर वर्णन किया। उन्होंने न केवल प्रधानमंत्रियों बल्कि संसद के सुचारू संचालन में योगदान देने वाले हर वर्ग के बारे में बात की।"

 

 

इससे पहले, पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र की शुरुआत में लोकसभा को संबोधित किया और उन्होंने इससे जुड़ी खट्टी मीठी यादों पर बात की। उन्होंने सभी सदस्यों, सभी सहयोगियों का आभार जताया। साथ ही पीएम मोदी ने बतौर सांसद, संसद में अपने पहले दिन को भी याद किया।

गौरतलब है कि विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक चलेगा। 19 सितंबर को संसद के नए भवन में कार्यवाही को शिफ्ट कर दिया जाएगा।

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