आउटलुक से बातचीत में उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर अपनी सरकार के द्वारा जारी किए गए बयानों को ही दोहराया और कहा, `अगर आप एलओसी पर होने वाली फायरिंग को सर्जिकल स्ट्राइक का नाम देना चाहते हैं तो यह आपके अधिकार क्षेत्र का मानला है। लेकिन मैं आपको जोर देकर बताना चाहता हूं कि अगर कोई सर्जिकल स्ट्राइक हुआ होता तो हम भी उसी अंदाज में जवाब देते। जहां तक पाकिस्तान का स्टैंड है- कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। यह एलओसी के पार से फायरिंग थी।’
अगर यह इतना ही रूटीन मामला था तो इस पर दुनिया भर में चर्चा क्यों हो रही है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, भारत को इसपर स्पष्टीकरण देना चाहिए। इससे बेहद खतरनाक खेल शुरू हो जाएगा। दोनों तरफ की विश्वसनीयता दांव पर लगी हुई है और मेरा मानना है कि पाकिस्तान कभी भी अपनी विश्वसनीयता खोने नहीं देगा।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद, भारत ने ऐलान किया कि ऑपरेशन अब खत्म हो गया है। पाकिस्तान की जो प्रतिक्रिया रही, उससे साफ है कि दोनों ही पक्ष सीमा पर तनाव नहीं चाहते। क्या यह आकलन सही है? इस सवाल के जवाब में अब्दुल बासित ने कहा, `हम सीमा पर किसी भी तरह से तनाव नहीं बढ़ाना चाहते। भारत ने जो भी किया है, पाकिस्तान ने उसी अंदाज में प्रतियुत्तर दिया है। हमारा रुख भी नहीं बदला है।’ तो क्या यह मान लिया जाए कि पाकिस्तान की सेना कोई गड़बड़ नहीं करेगी? अब्दुल बासित के अनुसार, 29 सितंबर को भारत को ओर से जब युद्धविराम का उल्लंघन किया गया तब हमने उसका जवाब दिया। प्रतिपक्ष की ओर से जो भी कार्रवाई होगी- हम उसका जवाब देंगे।
भारत में लगातार यह माना जा रहा है कि पाकिस्तान ही आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैष क्या पाकिस्तान आतंकवाद को स्पॉन्सर करने वाला देश है? अब्दुल बासित के अनुसार, `यह दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर ऐसा कर जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने का इरादा है तो मैं यह बताना चाहूंगा कि पाकिस्तान की नीतियां नहीं बदलेंगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों को कह रहा है कि कश्मीर समेत सभी मुद्दों को सुलझाएं। समस्या तब होती है, जब आप कश्मीर के मुद्दे को आतंकवाद के चश्मे से देखने लगते हैं। यह न सिर्फ गलत डॉयग्नोसिस है, बल्कि गलत प्रेस्क्रिप्शन भी है।’
बासित के अनुसार, जब हजारों कश्मीरियों ने बुरहान वानी की अंत्येष्टि में हिस्सा लिया तब आप इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि यह एक जायज औरस्वत:स्फूर्त मांग है। इस मसले को यथार्थवादी नजरिए से देखना चाहिए। पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए आतंकवाद के सवाल का इस्तेमाल करना और कश्मीरियों को उनका हक नहीं देना- इससे कोई हल नहीं निकलेगा। हमें इन मुद्दों पर बात करनी होगी, जिससे कि हम कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट से कॉन्फ्लिक्ट रीजोल्यूशन की ओर बढ़ सकें। लेकिन जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद का दौर जारी है। इस सवाल पर बासित ने कहा कि पाकिस्तान में भी आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं। ऐसा कर कुछ लोग देश को अस्थिर करना चाहते हैं। दोनों देशों को मिलकर बात करनी चाहिए।
लेकिन इस मसले पर भारत ही नहीं कई दक्षिण अफ्रीकी देशों ने पाकिस्तान को लेकर चिंता जताई है। बासित के अनुसार, पाकिस्तान को अलग-थलग कर देना इतना आसान नहीं है। दुनिया भर के देशों के साथ पाकिस्तान के अच्छे संबंध हैं। पहली बार सार्क सम्मेलन स्थगित नहीं हुआ है। हमें भरोसा है कि अगले साल सार्क सम्मेलन जरूर होगा। मौजूदा हालात को लेकर कुछ देशों को चिंता है। लेकिन अगले साल तक स्थितियां सामान्य हो जाएंगी।