पूर्व गृह मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को आतंकवाद के मुद्दे पर केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ पूर्व यूपीए सरकार द्वारा बनाई गई एनसीटीसी और नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) पर केंद्र सरकार ने पांच सालों में कोई कदम नहीं उठाया।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा ने दो अहम संस्थाओं को आगे नहीं बढ़ाकर आतंकी हमले को रोकने के लिहाज से स्थिति को कमजोर किया है।’ चिदंबरम ने कहा, ‘पिछले पांच वर्षों में नैटग्रिड शुरू नहीं हो पाया, ऐसा क्यों ? पिछले पांच वर्षों में एनसीटीसी पर बात आगे क्यों नहीं बढ़ी?’ पूर्व गृह मंत्री ने सवाल किया, ‘क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन दोनों कदमों की शुरुआत यूपीए सरकार के समय हुई थी?’
मुंबई हमलों के बाद लिया था फैसला
2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद रोधी एजेंसी के तौर पर एनसीटीसी की स्थापना की कल्पना की गई थी। इस हमले में 166 लोगों के मारे जाने का दावा किया गया था। हालांकि, इस कदम का विरोध गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी सहित कई मुख्यमंत्रियों ने किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि इस तरह की एजेंसी के बनने से राज्य सुरक्षा एजेंसियों के कामकाज में हस्तक्षेप करेगी और यह देश के संघीय ढांचे के लिए खतरा होगा।
हालांकि तब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ बातचीत शुरू करके आम सहमति बनाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। 2013 में भी इस पर राज्यों की ओर से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिली और एजेंसी पर कोई काम नहीं हो पाया।
एनसीटीसी बनाने का ये था मकसद
नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) का मकसद आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की ताकत को मजबूत करना था और आतंकवाद के मुद्दे पर राज्यों व केंद्र के बीच तालमेल बढ़ाना था। प्रस्ताव के मुताबिक, एनसीटीसी में एक स्थायी काउंसिल होगी, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के अफसर होंगे। राज्यों के एटीएस के मुखिया अपने−अपने राज्य में एनसीटीसी को हेड करेंगे।
क्या है नैटग्रिड
मुंबई हमले के बाद ही नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड (नैटग्रिड) स्थापित करने का विचार आया था। साल 2009 में इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया गया। तत्कालीन यूपीए सरकार ने जून 2011 में नैटग्रिड को मंजूरी दे दी। इसका मकसद देश-विदेश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ठोस सूचना का आदान-प्रदान करना है। नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न सार्वजनिक और निजी एजेंसियों द्वारा रखे जा रहे 21 श्रेणियों के डेटा स्त्रोत को जोड़ा गया है, ताकि देश की सुरक्षा एजेंसियों तक उसकी पहुंच हो सके।