कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में सीबीआई जांच पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई मामले में निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया नहीं चाहती, बल्कि वह मीडिया ट्राॅयल कराना चाहती है। जांच एजेंसी न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना रही है।
एयरसेल-मैक्सिस मामले से जुड़ा आरोपपत्र एक अखबार में लीक होने को लेकर पी. चिदंबरम ने सीबीआई पर निशाना साधा है। पूर्व वित्तमंत्री ने ट्वीट किया, 'सीबीआई का आरोपपत्र उन लोगों को नहीं दिया गया जिनके नाम इसमें हैं। इसे एक अखबार को लीक किया गया जो इसे किस्तों में प्रकाशित कर रहा है।'
नियमों की अवहेलना का है आरोप
चिदंबरम एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में नियमों की अवहेलना के आरोप का सामना कर रहे हैं। आरोप है कि यूपीए सरकार में वित्तमंत्री रहते हुए चिदंबरम ने 3,500 करोड़ रुपये की एफडीआईबी की मंजूरी आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी के बिना दी थी। जांच एजेंसी का कहना है कि मैक्सिस की ओर से एयरसेल में 3,560 करोड़ रुपये के अवैध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी देने के बदले चिदंबरम के बेटे कार्ति ने रिश्वत ली थी। केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि चिदंबरम को 2006 से 2012 के बीच यह रकम हासिल हुई थी।
क्या थी एयरसेल-मैक्सिस डील
मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है जिसका मालिकाना हक एक बिजनेस टॉयकून टी आनंद कृष्ण्ान के पास है, जिन्हें ‘टैक’ नाम से भी जाना जाता है। टैक श्रीलंका की तमिल पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले एक मलेशियाई नागरिक हैं। एयरसेल को सबसे पहले एक एनआरआई टॉयकून सी सिवसंकरन (सिवा) ने प्रमोट किया था, जो कि तमिलनाडु के मूल निवासी थे। साल 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। बाकी की 26 फीसदी हिस्सेदारी अब एक भारतीय कंपनी के पास है, जो कि अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप से संबंधित है। इन 26 फीसदी शेयर का मालिकाना हक सुनीता रेड्डी के पास है जो कि अपोलो के ग्रुप फाउंडर डॉ. सी. प्रताप रेड्डी की बेटियों में से एक हैं। ये डील उस समय विवादों के घेरे में आई, जब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला उजागर हुआ, तब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वो इस मामले में ए. राजा के पूर्ववर्ती मंत्रियों की जांच करे।