Advertisement

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले पर बोली अदालत, सबूतों के अभाव में गुनहगारों को नहीं मिल पाई सजा

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद और तीन अन्य आरोपियों को बरी करने वाली पंचकूला की...
समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले पर बोली अदालत, सबूतों के अभाव में गुनहगारों को नहीं मिल पाई सजा

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद और तीन अन्य आरोपियों को बरी करने वाली पंचकूला की एक विशेष अदालत ने यहां कहा कि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्य के अभाव की वजह से, हिंसा के इस नृशंस कृत्य में किसी गुनहगार को सजा नहीं मिल पाई।

इस मामले में चारों आरोपियों - स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को अदालत ने 20 मार्च को बरी कर दिया था।

आतंकवाद का मामला अनसुलझा रह गया

एनआईए अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने अपने फैसले में कहा, “मुझे गहरे दर्द और पीड़ा के साथ फैसले का समापन करना पड़ रहा है क्योंकि विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्यों के अभाव की वजह से हिंसा के इस नृशंस कृत्य में किसी को गुनहगार नहीं ठहराया जा सका। अभियोजन के साक्ष्यों में निरंतरता का अभाव था और आतंकवाद का मामला अनसुलझा रह गया।”

संदेह चाहे कितना भी गहरा हो, साक्ष्य की जगह नहीं ले सकता

न्यायाधीश ने कहा कि आतंकवाद का कोई महजब नहीं होता क्योंकि दुनिया में कोई भी मजहब हिंसा का संदेश नहीं देता। उन्होंने 28 मार्च को सार्वजनिक किये गए विस्तृत फैसले में कहा है, “अदालत को लोकप्रिय या प्रभावी सार्वजनिक धारणा अथवा राजनीतिक भाषणों के तहत आगे नहीं बढ़ना चाहिए और अंतत: उसे मौजूदा साक्ष्यों को तवज्जो देते हुए प्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों और इसके साथ तय कानूनों के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “चूंकि अदालती फैसले कानून के मुताबिक स्वीकार्य साक्ष्यों पर आधारित होते हैं, इसलिए ऐसे में यह दर्द और बढ़ जाता है जब नृशंस अपराध के साजिशकर्ताओं की पहचान नहीं होती और वे सजा नहीं पाते।” न्यायाधीश ने कहा कि, “संदेह चाहे कितना भी गहरा हो, साक्ष्य की जगह नहीं ले सकता।”

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामला

भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के पास धमाका हुआ। उस वक्त रेलगाड़ी अटारी जा रही थी जो भारत की तरफ का आखिरी स्टेशन है। इस बम विस्फोट में 68 लोगों की मौत हो गई थी।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad