भारत ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान की जांच मांग करना बेतुकी है। पुलवामा के अवंतीपोरा इलाके में हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने ट्वीट किया कि विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने शुक्रवार को अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के राजूदतों को पुलवामा हमले पर जानकारी दी और भारत के आरोपों को खारिज कर दिया।
इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान यह दावा नहीं कर सकता है कि वह अपनी धरती पर आतंकी संगठनों की मौजूदगी और उनकी गतिविधियों से अनभिज्ञ था। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मांग के बावजूद उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की।
पाकिस्तान में है जैश-ए-मोहम्मद
रवीश कुमार ने कहा कि जेईएम ने हमले की जिम्मेदारी ली है। यह आतंकी संगठन और उसका नेतृत्व पाकिस्तान में है। लश्कर और अन्य आतंकी समूहों ने हमले की खबर का स्वागत किया है। ये आतंकी संगठन भी पाकिस्तान में हैं। पाकिस्तान यह दावा नहीं कर सकता कि वह उनकी गतिविधियों और मौजूदगी से अनजान है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा मांग उठाए जाने के बावजूद इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन आतंकी संगठनों के पाकिस्तान के साथ लिंक होने के साफ प्रमाण हैं और उनके मंत्रियों ने भी संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इन्हें साझा किया है।
'सबूतों के बाद ही उठाया गया मुद्दा'
रवीश कुमार ने कहा कि आत्मघाती हमले का वीडियो सामने आने के बाद पाकिस्तान की सबूत की मांग बेतुकी ही है क्योंकि इसमें कोई संदेह ही नहीं है और यह साबित हो चुका है। सबूतों के बाद ही कहा गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने कभी रचनात्मक रवैया नहीं दिखाया। आतंक और बातचीत दोनों साथ नहीं चल सकते। एक तरफ बातचीत की पेशकश की जाती है और दूसरी तरफ जेईएम जैसे आतंकी संगठनों को शरण दी जाती है।
कश्मीर में सुरक्षाबलों पर यह सबसे घातक हमला है। जब यह हमला किया तब सीआरपीएफ के यह जवान एक बस में थे। काफिलें में 78 बसें थीं और इनमें करीब 2500 जवान थे।