सूचना प्रौद्योगिकी के मामले की संसदीय समिति के समक्ष पेश होने के लिए कम समय मिलने का हवाला देकर मिलने से इनकार करने के बाद सोमवार को ट्विटर इंडिया की टीम समिति के सामने पेश होने संसद पहुंची। लेकिन संसदीय समिति ने कहा है कि जब तक ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जैक डॉर्सी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी नहीं आते तब तक ट्विटर की टीम से नहीं मिला जाएगा। समिति ने ट्विटर सीईओ को पेश होने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
11 फरवरी को पेश होने को कहा था
इससे पहले सूचना प्रौद्योगिकी के मामले की संसदीय समिति के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने 1 फरवरी को चिट्ठी लिखकर ट्विटर के अधिकारियों को 11 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। लोकसभा चुनाव से पहले कई पक्षों की तरफ डेटा की निजता और सोशल मीडिया के चुनावों में इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर की थी। जिसे लेकर समिति ने ट्विटर अधिकारियों को पेश होने लिए कहा।
ट्विटर ने जताई थी असमर्थता
इस चिट्ठी में साफ कहा गया था कि ट्विटर के प्रमुख और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पेश हों। जिसके जवाब में ट्विटर की तरफ से कहा गया कि सुनवाई के लिए कम समय दिए जाने के कारण सोमवार को सुनवाई के लिए उपस्थित होने के लिए ट्विटर के शीर्ष अधिकारियों का अमेरिका से भारत आ पाना संभव नहीं हो सकेगा। इसके बाद संसदीय समिति को 7 फरवरी को ट्विटर के कानूनी, नीतिगत, विश्वास और सुरक्षा विभाग की प्रमुख विजया गड्डे ने पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि ट्विटर इंडिया के लिए काम करने वाला कोई भी व्यक्ति भारत में सामग्री और खाते से जुड़े नियमों के संबंध में कोई प्रभावी फैसला नहीं करता है।
पहले 7 फरवरी को होनी थी बैठक
चिट्ठी में आगे लिखा गया कि भारत की संसदीय समिति के समक्ष ट्विटर का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी छोटे कर्मचारी को भेजना ठीक नहीं होगा, खासकर तक जब उनके पास निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। संसदीय समिति की बैठक पहले 7 फरवरी को होनी थी लेकिन ट्विटर के सीईओ और अन्य अधिकारियों को और अधिक समय देने के लिए बैठक को 11 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया। लेकिन अधिक समय दिए जाने के बावजूद सोमवार को भी ट्विटर के सीईओ और वरिष्ठ अधिकारी संसदीय समिति के पेश नहीं हुए।
चुनाव में सोशल मीडिया की भूमिका पर चल रही चर्चा
ट्विटर के अधिकारियों को संसदीय समिति के समक्ष पेश होने के लिए तब बुलाया गया है, जब देश और दुनिया में सोशल मीडिया मंचों के जरिए चुनावों में हस्तक्षेप को लेकर चर्चा हो रही है। भारतीय संसदीय समिति चौथी संस्था है जिसने ट्विटर से इस पर राय मांगी है। इससे पहले नीति निर्माताओं के समक्ष ट्विटर को अपनी बात रखने के लिए अमेरिकी कांग्रेस, सिंगापुर और यूरोपियन यूनियन भी बुला चुकी है।