केंद्र सरकार की ओर से कंप्यूटर निगरानी के नियमों के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा की ओर से दायर याचिका में सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते निरस्त करने की मांग की गई है।
इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी कानून की धारा 69 के तहत यदि एजेंसियों को किसी भी संस्थान या व्यक्ति पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह होता है तो वे उनके कंप्यूटरों में मौजूद सामग्रियों को जांच सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं। गृह मंत्रालय ने नए आदेश के तहत 10 खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की निगरानी का अधिकार दिया गया है।
आदेश में कहा गया है कि जांच एजेंसियों को उस डिवाइस तथा डाटा की निगरानी, उसे रोकने और उसे डिक्रिप्ट करने का भी अधिकार होगा। सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिकों को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सजा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है।
इन एजेंसियों को होगा अधिकार
आइबी, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, सीबीडीटी, राजस्व खुफिया निदेशालय, सीबीआइ, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), जम्मू-कश्मीर, असम और पूवरेत्तर में कार्यरत सिगनल गुप्तचर महानिदेशालय और दिल्ली पुलिस को किसी की कंप्यूटर की निगरानी का अधिकार होगा।