प्रधानमंत्री ने संसद भवन परिसर में आज कहा कि हमारी आशा है कि जीएसटी में भी एक ब्रेकथ्रू (सफलता) हो। इसके सफल होने की संभावना का कारण यह भी है कि इस पर सभी राज्यों का बहुत ही सकारात्मक सहयोग रहा है। सभी राजनीतिक दलों का भी बहुत सकारात्मक सहयोग रहा है।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से बहुत व्यापक चर्चाएं करते-करते कुछ नतीजों पर सहमति से हम लोग आगे बढ़े। इसके कारण जीएसटी इस सत्र में पूर्ण हो जाए, उस दिशा में भी प्रयास है और इसमें सबका सहयोग रहेगा।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी को देश में अब तक के सबसे बड़े कर सुधार के रूप में पेश किया गया है। ऐसी उम्मीद है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में कम से कम एक प्रतिशत की वृद्धि होगी। संसद में सार्थक चर्चा की उम्मीद व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद सत्र में बीच के एक बार के विराम के बाद फिर से सब लोग एक साथ बैठे हैं। प्रमुखता से बजट की बारीकी पर चर्चा होगी। संवाद का स्तर और चर्चा का स्तर बहुत ऊपर जाएगा। देश के गरीबों के लिए काम आने वाली बातों पर ध्यान केंद्रित करने वाला संवाद होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक बार फिर सभी को धन्यवाद देते हैं। केंद्रीय और राज्य स्तरीय अधिकारी जल्द ही यह तय करना शुरू करेंगे कि कौन सी वस्तुएं और सेवाएं किस कर श्रेणी में आएंगी। जल्द ही इसे परिषद में मंजूरी के लिए ले जाया जाएगा।
इसके साथ वे उन वस्तुओं और सेवाओं के बारे में भी निर्णय करेंगे जिन पर कर के अलावा उपकर भी लगाया जाएगा ताकि जीएसटी के क्रियान्वयन से शुरू के पांच साल में राज्यों को राजस्व में होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान की भरपाई के लिए कोष सृजित किया जा सके।
सरकार एक जुलाई से जीएसटी लागू करना चाहती है। जीएसटी को अमलीजामा पहनाने का मार्ग प्रशस्त करने वाले संवैधानिक संशोधन की अवधि इस साल सितंबर के मध्य में पूरी होने वाली है। (एजेंसी)