खराब मौसम और भारी बारिश के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे नेपाल में फंसे1575 तीर्थयात्रियों को बचाने का काम भारत सरकार ने शुरू कर दिया है। नेपालगंज से सिमीकोट के बीच 7 विमान राहत एवं बचाव कार्य में जुट गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश मंत्रालय और अधिकारियों के संपर्क में हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि तीर्थयात्रियों के लिए जो भी संभव हो, वो किया जाए। नेपाल में भारतीय दूतावास तीर्थयात्रियों के बचाव कार्य में लगा है। एएनआई के मुताबिक, अब तक 104 यात्रियों को बचा लिया गया है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज ट्विटर पर अपने ट्वीट में कहा कि करीब 525 तीर्थयात्री सिमिकोट में, 550 तीर्थयात्री हिलसा में और करीब 500 तीर्थयात्री तिब्बत के पास फंसे हुए हैं। दो कमर्शियल विमान सिमिकोट पहुंच गए हैं।
एक तीर्थ यात्री की मौत
इस बीच एक तीर्थयात्री की नेपाल के हिल्सा में मौत हो गई। ग्रांथी सुब्बाराव नाम का ये तीर्थयात्री आंध्रप्रदेश के पूर्वी गोदावरी का रहना वाला था। उसका पार्थिव शरीर नेपालगंज लाया गया है। पोस्टमार्टम के बाद उसका शव परिजनों को उसके गृहनगर में सौंपा जाएगा।
चीन के तिब्बत स्वायत्त इलाके में स्थित कैलाश मानसरोवर हिन्दुओं, बौद्ध एवं जैन धर्म के लोगों के लिए पवित्र स्थान माना जाता है और हर वर्ष सैकड़ों की संख्या में तीर्थयात्री वहां जाते हैं।
हिंदू धर्म के लिए खास महत्व रखने वाली मानसरोवर तिब्बत की एक झील है, जो कि इलाके में 320 वर्ग किलोमाटर के क्षेत्र में फैली है। इसके उत्तर में कैलाश पर्वत और पश्चिम में राक्षसताल है। यह समुद्रतल से लगभग 4556 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी त्रिज्या लगभग 88 किलोमीटर है और औसत गहराई 90 मीटर है।