हैदराबाद के सीमावर्ती इलाका मुचिन्ताल में पीएम मोदी ने शनिवार को "स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी" को देश को समर्पित किया। 216 फीट ऊंची बैठी हुई मुद्रा में दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है, जिन्होंने आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया। उनके जन्म के हजार वर्ष पूरे हो चुके हैं।
'पंचधातु' से बनी ये प्रतिमा सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है। यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम 'भद्र वेदी' है। इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जिसमें संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण हैं। प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयार स्वामी ने की।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान विस्तार से संत रामानुजाचार्य के विचारों के बारे में बताया। उन्होंने उन्हें ज्ञान का सच्चा प्रतीक बताते हुए कहा कि वे कभी भी भेदभाव नहीं करते थे। वे हमेशा यहीं चाहते थे कि सभी का विकास हो, सभी को सामाजिक न्याय मिले। श्री रामानुजाचार्य ने राष्ट्रीयता, लिंग, नस्ल, जाति या पंथ की परवाह किए बिना हर इंसान की भावना के साथ लोगों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया था।
पीएम मोदी ने इस बात का भी जिक्र किया कि इस मूर्ति के अनावरण के साथ एक बार फिर पूरे देश में सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की नींव को मजबूत कर दिया है। मोदी ने देश की आजादी और उसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि किसी भी आजादी की परिकल्पना बिना महात्मा गांधी के नहीं की जा सकती है।