जी20 की वर्चुअली बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान का क्षेत्र कट्टरपंथ और आतंकवाद का जरिया न बने, यह हमारी वैश्विक जिम्मेदारी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर सुनिश्चित करना होगा कि वहां की जमीन का इस्तेमाल अलगाववादी और आतंकियों को पनाह देने के लिए न हो। साथ ही वहां के लोगों के मानवाधिकारों और रक्षा के लिए भी प्रयास करने होंगे। उन्होंने कट्टरपंथ, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के गठजोड़ के खिलाफ संयुक्त लड़ाई का आह्वान किया।
पीएम ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ भारत के सदियों पुराने संबंध रहे हैं। भारत ने 500 से अधिक सहायता परियोजनाएं अफगानिस्तान के लिए चलाई। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लोग भूख और कुपोषण का शिकार बन रहे हैं। ऐसे में वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगान लोगों को तत्काल और आवाज तौर पर मानवीय सहायता उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि अफगानिस्तान दुनिया के लिए कट्टरपंथ और आतंकवाद का स्रोत ना बने। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कट्टरवाद आतंकवाद, नशीली दवाओं और अवैध हथियारों की तस्करी के बीच बने गठजोड़ को तोड़ने के लिए साझा लड़ाई मजबूत करने की जरूरत है।
पीएम ने कहा कि अफगानिस्तान में बीते 20 सालों के दौरान हुई प्रगति को सहेजने के लिए यह जरूरी है कि एक समावेशी प्रशासन बनाया जाए जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों का भी प्रतिनिधित्व हो। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के प्रति जी 20 देशों को और अधिक सक्रिय तौर पर समर्थन जताने की जरूरत है। भारत की अध्यक्षता में ही 30 अगस्त को यह संकल्प पारित हुआ था। इसमें अफगानिस्तान के नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होने देने का संकल्प लिया गया था। अफगानिस्तान मैं अपेक्षित बदलावों को लाने के लिए यह जरूरी है कि सभी मिलकर एक साथ प्रयास करें।
पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने साथ-साथ दूसरों के भी अधिकारों की चिंता करें, दूसरों के अधिकारों को अपना कर्तव्य बनाएं और हर किसी के साथ ‘सम भाव’ व ‘मम भाव’ रखें। मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है, जब उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है।
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि पीएम मोदी ने जी20 बैठक में आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की जरूरत को रेखांकित किया। साथ ही ड्रग्स व हथियारों की तस्करी को लेकर भी चिंता व्यक्त की व अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसके खिलाफ एकजुट होने की अपील की।