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पीआइओ सम्‍मेलन में बोले PM, हमने देश का आर्थिक एकीकरण किया, रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म हमारी नीति

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को प्रवासी सम्मेलन को संबोधित करते हुए सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले...
पीआइओ सम्‍मेलन में बोले PM, हमने देश का आर्थिक एकीकरण किया, रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म हमारी नीति

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को प्रवासी सम्मेलन को संबोधित करते हुए सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रवासियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप दुनिया के किस कोने से आए हैं, लेकिन आपको यहां देखकर सबको खुशी हो रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रथम पीआइओ सांसद सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, 'मैं विदेशों से आए भारतीय मूल के नागरिकों का 125 करोड़ हिंदुस्‍तानियों की तरफ से स्‍वागत करता हूं।' इस सम्‍मेलन में 23 देशों से करीब 140 सांसद व मेयर शामिल हुए हैं। यह विश्व राजनीति में भारत के लिए महत्वपूर्ण घटना है, जो किसी अन्य देश के प्रवासियों के संदर्भ में अभी तक देखने को नहीं मिली है।

भारतीय मूल के लोगों को विश्व में भारत का स्थायी राजदूत करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि पिछले 3-4 वर्षों में भारत में महत्वपूर्ण बदलाव आया है, हमारे प्रति विश्व का नजरिया बदल रहा है तथा भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं।

प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आप लोग लंबे समय से अलग-अलग देशों में रह रहे हैं। आपने अनुभव किया होगा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के प्रति नजरिया बदल गया है। हमारे उपर ध्यान बढ़ रहा है, विश्व का हमारे प्रति नजरिया बदल रहा है, तो इसका मुख्य कारण यही है कि भारत स्वयं बदल रहा है, इसमें बदलाव आ रहा है ।

मोदी ने कहा, “जैसा पहले था, वैसे ही चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं”, इस सोच से भारत अब बहुत आगे बढ़ चुका है। भारत के लोगों की आशाएं-आकांक्षाएं इस समय उच्चतम स्तर पर हैं। व्यवस्थाओं में हो रहे संपूर्ण परिवर्तन का, इसमें हो रहे अपरिवर्तनीय बदलाव का परिणाम आपको हर क्षेत्र में नजर आएगा।

उन्होंने कहा कि जब भी किसी देश की यात्रा करता हूं, तो मेरा प्रयास होता है कि वहां रहने वाले भारतीय मूल के लोगों से मिलूं। मेरे इस प्रयास का सबसे बड़ा कारण है कि मैं मानता हूं कि विश्व के साथ भारत के संबंधों के लिए यदि सही मायने में कोई स्थायी राजदूत है तो वे भारतीय मूल के लोग हैं।

मोदी ने कहा कि आपको यहां देखकर आपके पूर्वजों को कितनी प्रसन्नता हो रही होगी, इसका अंदाजा हम सभी लगा सकते हैं। वो जहां भी होंगे, आपको यहां देखकर बहुत खुश होंगे। सैकड़ों वर्षों के कालखंड में भारत से जो भी लोग बाहर गए, भारत उनके मन से कभी बाहर नहीं निकला।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि भारतीय मूल के प्रवासी जहां भी गए। वहीं, पूरी तरह समावेशित हो कर, घुल मिलकर उस जगह को अपना घर बना लिया। उन्होंने जहां एक तरफ खुद में भारतीयता को जीवित रखा, तो दूसरी तरफ वहां की भाषा, वहां के खान-पान, वहां की वेश-भूषा में भी पूरी तरह घुल-मिल गए।

उन्होंने कहा कि राजनीति की बात करूं तो, मैं देख ही रहा हूं कि कैसे भारतीय मूल की एक मिनी विश्व संसद मेरे सामने उपस्थित है। आज भारतीय मूल के लोग मॉरीशस, पुर्तगाल और आयरलैंड में प्रधानमंत्री हैं। भारतीय मूल के लोग और भी बहुत से देशों में शासनाध्यक्ष और सरकार के मुखिया रह चुके हैं ।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जा रहा है, अटल जी की सरकार से इस कार्यक्रम की शुरुआत हुई। महात्मा गांधी 9 जनवरी को अफ्रीका से वापस लौटे थे, इसलिए इस दिन को चुना गया था। 2003 से लेकर आज तक ऐसा नहीं हुआ, जिसमें भारतीय मूल के जनप्रतिनिधियों को बुलाया हो, ये आइडिया पीएम मोदी का था। जिसके बाद इसी साल हमने इस कार्यक्रम का आयोजन किया।

सुषमा ने कहा कि न्यूयॉर्क का मौसम ठीक नहीं था, जिसके कारण कुछ सांसदों के ना आने का डर था। फिर भी सभी लोग उपस्थित हैं, ये काफी खुशी की बात है। सुषमा ने इस दौरान 'गिरमिटिया' होने की कहानी बताई और कहा कि इसी कारण कार्यक्रम का थीम 'संघर्ष से संसद' तक का सफर रखा है।  

इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों से संपर्क के माध्यम से इन देशों से संबंध मजबूत बनाने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाने की दिशा में सरकार की कोशिश को आगे बढ़ाना भी माना जा रहा है।

विदेश सचिव  डीएम मुले ने कहा हम हिन्दी को काफी प्राथमिकता देते हैं और जब फिजी और मॉरीशस जैसे देशों के प्रतिनिधि आएंगे और हिन्दी में बोलेंगे तब इस बात को बल मिलेगा। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 30 देशों को न्योता भेजा गया था और 23 ने इसमें अपनी भागीदारी की पुष्टि की है।

 

 

उल्लेखनीय है कि इन देशों से 141 जन प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है, जिनमें ब्रिटेन, कनाडा, फिजी, केन्या, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और अन्य देशों से 124 सांसदों के इसमें भाग लेंगे। इस सम्मेलन में अमेरिका, मलेशिया, स्विटजरलैंड, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो सहित अन्य देशों से 17 मेयर भी शामिल होंगे। सम्मेलन में दो परिचर्चा सत्र भी रखे गए हैं, जिसमें प्रवासी भारतीय सांसद (संघर्ष से संसद तक की यात्रा और उभरता भारत) प्रवासी भारतीय सांसदों की भूमिका विषय शामिल हैं।

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