संसद के बजट सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक में कहा कि सरकार विपक्ष की राय सुनने और हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हमें आप सभी द्वारा सुझाए गए आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था सहित सभी मुद्दों पर सार्थक और समृद्ध चर्चा होनी चाहिए। अर्थव्यवस्था को वैश्विक संदर्भ में देखें कि भारत इसका फायदा कैसे उठा सकता है। 31 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र से पहले आयोजित इस बैठक में विपक्षी दलों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), एनपीआर, एनआरसी, अर्थव्यवस्था की स्थिति, कश्मीर की स्थिति सहित कई मुद्दे उठाये और इन पर चर्चा कराने की मांग की। बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, वाम दलों आदि ने ये मुद्दे उठाए।
सीएए पर विपक्ष करे आत्ममंथन
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मीडिया को बताया कि पीएम कहा कि सरकार विपक्ष की राय सुनने और हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार है। सीएए को लेकर विपक्षी दलों की टिप्पणी पर उन्होंने कहा, ‘विपक्ष को आत्मावलोकन करना चाहिए क्योंकि सीएए लोकतांत्रिक तरीके से संसद में पारित हुआ है।’
प्रदर्शनों पर सरकार अहंकारीः गुलाम नबी
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों पर सरकार का रुख उसका अहंकार दिखाता है, उसने प्रदर्शनकारियों से सम्पर्क करने की कोई कोशिश नहीं की।’ उन्होंने कहा कि पिछले करीब सवा महीने से देश की आधी आबादी सड़कों पर है।. उन्होंने कहा ‘‘महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग इस ठंड में सड़कों पर हैं, आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार को कोई परवाह नहीं है कि कोई जिए या मरे।’ उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान सिर्फ विधेयक पारित कराने पर है, विपक्ष भी देशहित में विधेयक पारित करने में सहयोग करेगा लेकिन कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। विपक्षी दलों ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की तत्काल रिहाई की मांग भी की।