प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशी निवेश की अपील करते हुए कहा कि भारत विश्व की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के साथ कारोबार करने के लिए तैयार है। नई दिल्ली में भारत-कोरिया कारोबार शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने कारोबार के लिए स्थिर माहौल बनाने की दिशा में काम किया है। इतना ही नहीं मनमाने ढंग से फैसले लेने के चलन को खत्म किया है।
कोरिया के साथ रिश्तों का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि प्रिंसेज से लेकर पोएट्री तक, बुद्ध से लेकर बॉलीवुड तक भारत और कोरिया में कई समानताएं हैं। दोनों देशों के रिश्ते सदियों पुराने हैं। हम अपने बौद्ध परंपराओं से भी बंधे हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्र नाथ टैगोर ने 1929 में ‘लैंप ऑफ द इस्ट’ कविता लिखी थी जो कोरिया के गौरवशाली अतीत और उसके उज्ज्वल भविष्य पर लिखी गई गई थी।
From Princess to Poetry and from Buddha to Bollywood India & Korea have so much in common: PM Narendra Modi at the India-Korea Business Summit in Delhi pic.twitter.com/VOokLneEbg
— ANI (@ANI) 27 फ़रवरी 2018
उन्होंने कहा कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब कोरिया गया था। तब मुझे आश्चर्य हुआ था कि एक देश कैसे इतना विकास कर सकता है। ग्लोबल ब्रांड बनने के लिए कोरिया ने जिस तरह के काम किया उसकी मैंने तारीफ की। कोरिया ने विश्व को दिशा दिखाने वाले उत्पाद दिए हैं।
मोदी ने कहा कि हमारा लक्ष्य रोजाना की लेन-देन को सकारात्मक बनाना है। हम संदेह को कुरेदने के बजाय भरोसे का विस्तार कर रहे हैं। यह सरकार की मानसिकता में संपूर्ण बदलाव दर्शाता है। उन्होंने खरीद क्षमता के आधार पर भारत के विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का हवाला दिया। मोदी ने कहा कि जल्द ही हम सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।
मोदी ने कहा कि हम आज विश्व में सबसे तेजी से वृद्धि करती प्रमुख अर्थव्यवस्था भी हैं। हम स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी इको सिस्टम वाले देशों में से भी एक हैं। मोदी ने कहा कि सरकार नियमन और लाइसेंस की रुकावटें दूर करने की मुहिम में लगी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि औद्योगिक लाइसेंसों की वैधता अवधि को तीन साल से बढ़ाकर 15 साल व इससे अधिक कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अगर आप विश्व पर नजर दौड़ाएं, तो ऐसे बेहद कम देश हैं जहां अर्थव्यवस्था के तीन महत्त्वपूर्ण कारक एक साथ मौजूद हैं। ये कारक हैं लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग। भारत में यह तीनों मौजूद है।
उन्होंने कोरियाई कारोबारियों से कहा कि भारत अब कारोबार के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने उनके निवेश के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए हरसंभव उपाय का भी भरोसा दिया।