पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) के कथित 4,355 करोड़ रुपये बैंक घोटाला मामले में आरोपी पूर्व अध्यक्ष एस. वरयाम सिंह और एचडीआईएल के चयरमैन और प्रबंध निदेशक राकेश कुमार वधावन और उनके सारंग वधावन को 16 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
पीएमसी बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिए गए कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी लगा दी गई हैं। बैंक ने एचडीआईएल को अपने कुल कर्ज 8,880 करोड़ रुपये में से 6,500 करोड़ रुपये का ऋण दिया था।
यह उसके कुल कर्ज का करीब 73 प्रतिशत है। पूरा कर्ज पिछले दो-तीन साल से एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) बनी हुई है। बैंक पर लगाई गई पाबंदियों में कर्ज देना और नया जमा स्वीकार करने पर प्रतिबंध शामिल हैं। साथ ही बैंक प्रबंधन को हटाकर उसकी जगह आरबीआई के पूर्व अधिकारी को बैंक का प्रशासक बनाया गया।
एचडीआइएल है मुख्य आरोपी
इससे पहले घोटाले के मुख्य आरोपी हाउसिंग डेवलपमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआइएल) के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश वधावन और उनके बेटे सारंग वधावन को 9 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया था। इस कथित घोटाले में ईओडब्ल्यू ने एचडीआइएल और पीएमसी बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जांच में सहयोग नहीं करने के बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया। कुल 44 में से 10 खाते, जिनके कारण बैंक कर्ज में डूबा था, एचडीआईएल से जुड़े थे।
पुलिस के अनुसार, पीएमसी बैंक के अधिकारियों ने पिछले कर्जो का भुगतान न करने के बावजूद 2008 और 2019 में एचडीआईएल को कर्ज दिया। मामले में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आरबीआइ ने निकासी पर लगाई पाबंदी
पीएमसी के आर्थिक संकट में फंसने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक से पैसे निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया। पहले निर्देश दिया कि कोई भी खाताधारक छह महीने में 1000 रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेगा। बाद में यह रकम बढ़ाकर 25,0000 करोड़ रुपये कर दी गई। पीएमसी के कारण वित्तीय क्षेत्र में संकट की आशंका से शेयर बाजार में भी पिछले दिनों खासी गिरावट देखी गई थी।
ये है मामला
आरोप है कि एचडीआईएल ने पीएमसी बैंक से बहुत ज्यादा लोन लिया था, जिसे समय पर नहीं चुकाया। पीएमसी बैंक के कुल बुक साइज का 73 फीसदी कर्ज एचडीआईएल का ही है। यह 19 सितंबर को 8,880 करोड़ रुपये था।