प्रधानमंत्री कार्यालय यह नहीं जानता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले चार सालों में कभी मीडिया से रूबरू हुए कि नहीं। यह जानकारी ने पीएमओ ने एक आरटीआई के जवाब में दी है। समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक कार्यालय ने आज शुक्रवार को कहा है कि फिलहाल उसके दस्तावेजों में इस बात की कोई जानाकारी दर्ज नहीं है कि प्रधानमंत्री बीत चार साल में कभी मीडिया से मुखातिब हुए या नहीं।
एजेंसी के मुताबिक यह आरटीआई मुंबई निवासी सूचना- अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पिछले साल आठ दिसंबर को डाली थी। उन्होंने इस बारे में पूरा विवरण जानना चाहा था कि 2014 में प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद से मोदी कितनी बार या कब कब मीडिया के सामने आए। एक्टिविस्ट गलगली यह भी जानना चाहते थे कि कितने समाचार प्रतिनिधि या समाचार समूह ऐसे थे जिन्होंने इंटरव्यू या मीटिंग के लिए समय चाहा और इनमें से कितनों को लाइव या रिकार्डेड इ्ंटरव्यू के लिए स्वीकृति मिली।
गलगली ने आईएएनएस को बताया कि पिछले महीने 7 जनवरी को पीएमओ के एक अंडर सेक्रेटरी प्रवीन कुमार ने जब जवाब में सिर्फ इतना कहा कि वह वादा करते हैं कि जल्द ही जवाब देंगे। लेकिन जब 68 दिन बीतने के बाद भी माकूल जवाब नहीं मिला, तो “मैंने सूचना का अधिकार कानून के तहत पहली याचिका दायर की।“
एक्टिविस्ट ने एजेंसी से कहा कि इतना करने का नतीजा यह हुआ कि अंडर सेक्रेटरी कुमार ने जल्द ही जानकारी साझा की कि मोदी ने कभी संस्थागत या स्वतंत्र पत्रकारों से बातचीत की है, जैसा कि आप जानना चाहते हैं, पीएमओ के पास इस जानकारी से संबंधित कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है।
गलगली ने कहा, “कितने अचरज की बात है! पीएमओ से अपेक्षा की जाती है कि वह तत्काल जवाब दे लेकिन वह जानबूझकर जानकारी संबंधी विवरण देने के मामले को लटकाए रहा। जबकि अपील दायर करने के बाद सूचना उपलब्ध हो गई। इससे साफ जाहिर होता है कि उसका रवैया पक्षपाती और गुमराह करने वाला रहा।“ जबकि पीएमओ को सिर्फ इतना बताना था कि कोई प्रेस कान्फ्रेंस हुई या नहीं, इसके बजाय कि जवाब देने में वह देरी करता रहा।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता के मुताबिक, पीएमओ ने ऐसा करके खुद प्रधानमंत्री मोदी के सामने लज्जाजनक स्थिति पैदा कर दी।