कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस नेतृत्व और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को अपने पार्टी विधायकों से सार्वजनिक बयानबाजी न करने को कहा, पार्टी सूत्रों ने बताया। उन्होंने कांग्रेस विधायकों से यह भी कहा कि पार्टी आलाकमान जो भी फैसला ले, उसे मानें।
यह संदेश आज शाम यहां कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में विधायकों को दिया गया। बैठक में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और जयराम रमेश भी शामिल हुए। कांग्रेस विधायकों को यह संदेश ऐसे समय में दिया गया है, जब मंत्रियों समेत कई विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर मीडिया से खुलकर बात की है। कुछ ने इसकी संभावना जताई है, जबकि कुछ ने इसे खारिज कर दिया है।
हाल ही में मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर दलित और एसटी कैबिनेट के चुनिंदा सहयोगियों के साथ सिद्धारमैया के रात्रिभोज ने कांग्रेस के भीतर इस बात की चर्चा को जन्म दिया है कि मार्च में राज्य बजट के बाद राज्य में संभावित बदलाव हो सकता है, जिसके तहत "रोटेशनल मुख्यमंत्री" या "सत्ता-साझाकरण" फॉर्मूले के तहत काम किया जा सकता है। 2023 में पार्टी की जीत के बाद कथित तौर पर इस तरह का समझौता हुआ था, जिसमें सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, जो अब उपमुख्यमंत्री हैं, दोनों ही शीर्ष पद के लिए होड़ में थे।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि शिवकुमार और उनके समर्थक सत्ता साझा करने के फॉर्मूले के अनुसार सिद्धारमैया के पद छोड़ने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, सीएम के समर्थक शिवकुमार को सत्ता में स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। जाहिर है, सिद्धारमैया ने उस बैठक में विधायकों को आश्वासन दिया कि वह निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए प्रत्येक विधायक को 10 करोड़ रुपये "तत्काल जारी" करने के आदेश जारी करेंगे। उन्होंने उन्हें यह भी बताया कि आगामी बजट में और अनुदान दिया जाएगा।