उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन में स्थित संग्रहालय दो अक्तूबर से शुरू हो जाएगा। जिसके बाद अंग्रेजों के जमाने की इस इमारत में रखे गए विशेष उपहारों और बहुमूल्य संग्रह को देखा जा सकेगा।
मुखर्जी ने दरबार हाॅल, अशोक हाॅल, बैंक्वेट हाॅल समेत राष्ट्रपति भवन की भीतरी व्यवस्था का खाका भी खींचा, जिनका इस्तेमाल विभिन्न तरह के समारोहों के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसमें उनके सबसे पसंदीदा स्थानों में से एक है पुस्तकालय। उन्होंने उस जगह के बारे में भी बताया जहां ब्रिटेन के वायसराय ठहरते थे।
जाने-माने बंगाली लेखक प्रो. रंजन बनर्जी ने राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए इन-रेसिडेंस कार्यक्रम के तहत राष्ट्रपति भवन में सात दिन गुजरे थे जिसके लिए मुखर्जी ने उनका शुक्रिया अदा किया और कहा, दो अक्तूबर से संग्रहालय शुरू हो जाएगा। इसमें वे उपहार रखे गए हैं जो दूसरे देशों के प्रधानमंत्रियों, विदेश मंत्रियों और रक्षा मंत्रियों जैसे राष्ट्र प्रमुखों और विदेशी उच्चाधिकारियों की ओर से दिए गए थे।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा, इस कार्यक्रम के तहत आईआईटी और एनआईटी के छात्राें और इनोवेटर्स समेत अब तक 140 लोग यहां :राष्ट्रपति भवन में: ठहर चुके हैं। उन्होंने कहा, यहां के पुस्तकालय में मौजूद किताबों को पढ़ने के लिए पांच नहीं बल्कि पंद्रह साल भी कम पड़ेंगे। मुखर्जी ने उस दौर की यादें ताजा की जब जुलाई 1979 में वे पहली बार दिल्ली आए थे। तब वे राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ लेने यहां आए थे। राष्ट्रपति बनने से पहले 43 साल तक वे राष्ट्रपति भवन से बेहद नजदीक ही रहा करते थे लेकिन उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि राष्ट्रपति कार्यालय किस तरह से काम करता है।
राष्ट्रपति ने बताया, शयनकक्षों का वह इलाका जहां वायसराय ठहरते थे, वह इतना बड़ा है कि आप वहां सो नहीं सकते। राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालने से पहले भी मैं सरकारी कामकाज के कारण कई बार रााष्ट्रपति भवन आया हूं लेकिन भवन कैसे काम करता है और इसके भीतर क्या-क्या है इसकी मुझे जानकारी नहीं थी। यहां तक कि इस बारे में जानकारी लेने के लिए मैंने पद की शपथ लेने से दो दिन पहले अपनी बेटी :शर्मिष्ठा: को यहां भेजा था। इस बातचीत के दौरान राष्ट्रपति के अलावा प्रो. बनर्जी भी मौजूद थे। प्रो.बनर्जी ने अब तक तीस किताबें लिखी हैं। भाषा एजेंसी