ऐतिहासिक धरोहर ताजमहल की सुरक्षा और संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कर रहा है और इसके संरक्षण को लेकर कई बार उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगा चुका है। सोमवार को इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताज ट्रैपेजियम जोन (टीटीजेड) के अध्यक्ष और पर्यावरण मंत्रालय, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव ताजमहल के रखरखाव और संरक्षण के लिए जिम्मेदार हैं। साथ ही कहा कि ताज के संरक्षण के लिए हमारी चिंता यूनेस्को से कहीं अधिक होनी चाहिए।
वहीं, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ताज ट्रैपेजियम जोन के रखरखाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दाखिल करने वाले यह प्राधिकारी हैं। इसके अलावा एएसआई के महानिदेशक भी ताजमहल की संरक्षण के लिए ज़िम्मेदार हैं। वो स्मारकों की सुरक्षा से जुड़ा शपथपत्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे। केंद्र सरकार का ये प्रस्ताव तब आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि ताजमहल के संरक्षण से कई प्राधिकारी जुड़े हुए हैं जिसकी वजह से इस बात को लेकर दिक्कत होती है कि किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाए।
2013 में ताजमहल पर यूनेस्को को एक प्लान दिया गया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि ताजमहल के प्रति हमारी चिंता यूनेस्को से कहीं अधिक होना चाहिए। पिछली सुनवाई में ताजमहल की सुंदरता को बनाए रखने में नाकाम यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उस स्थिति में क्या होगा, यदि यूनेस्को यह कह दे कि हम ताजमहल का विश्व धरोहर का दर्जा वापस ले लेंगे?
इसके अलावा पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल से यह भी जानना चाहा कि केंद्र और राज्य सरकार के किस विभाग के पास ताज ट्रैपेजियम जोन की देखभाल की जिम्मेदारी है। ताज ट्रैपेजियम जोन करीब 10400 किलोमीटर में फैला है और इसके दायरे में यूपी के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा और राजस्थान का भरतपुर जिला शामिल है।
मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज की याद में यूपी के आगरा में बनाए गए ताजमहल की निगरानी सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। 1643 में बने ताजमहल का निर्माण कार्य दस साल में पूरा हुआ था।