भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 72वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश दिया। बतौर राष्ट्रपति यह उनका दूसरा संदेश है। इस दौरान उन्होंने देशवासियों को बधाई दी। अपने संबोधन में राष्ट्रपति कोविंद ने महिलाओं की आजादी से लेकर भारतीय जवानों द्वारा देश की सुरक्षा तक के मुद्दों पर बात रखी। साथ ही उन्होंने ध्यान भटकाने वाले मुद्दों और निरर्थक विवादों में न उलझने का संदेश भी दिया।
राष्ट्रपति के संबोधन की अहम बातें-
1. अगस्त का दिन राष्ट्र निर्माण में लिए संकल्पों को पूरा करने का दिन है। स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने वाले में देश के हर वर्ग के लोग शामिल थे। देश का विकास करने और गरीबी से मुक्ति दिलाने का काम हम सबको करना है। राष्ट्र का विकास शहीदों को एक श्रद्धांजलि होगी। हमारी स्वाधीनता का दायरा काफी बड़ा है। हमें स्वाधीनता को विकास नए आयाम देना है।
2. देश के सैनिक और किसान हमारे लिए अहम योगदान देते हैं। सैनिक कठिन हालात में देश की आजादी की रक्षा कर रहे हैं। सरकार किसानों और सैनिकों के साथ हर वर्ग के लिए काम कर रही है। महिलाओं को आजादी की भी सार्थकता है। उन्हें घरों में अपने स्वतंत्रता का अवसर मिलना चाहिए। उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में आजादी मिलनी चाहिए।
3. देश में तेजी से बदलाव हो रहा है। हम स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं। भारतीय परंपरा में दरिद्र नारायण की सेवा को सर्वोपरि माना गया है। मुझे विश्वास है कि हम इसमें योगदान देते रहेंगे। दुनियाभर में गांधी जी को आदर के साथ याद किया जाता है। उन्होंने स्वच्छता के लिए काम किया। वे गरीबों को सशक्त बनाने और अनपढ़ों को शिक्षित करने के पक्षधर रहे।
4. देश के नौजवानों ने स्वाधीनता के आंदोलन में जोश भरा था। वे आज हमारी आकाक्षांओं की बुनियाद हैं। हम युवाओं का कौशल विकास करते हैं। हमने उन्हें आईटी, खेल और कारोबार के क्षेत्र में अवसर दिए हैं। आज हम इतिहास के ऐसे मोड़ पर हैं, जो अलग है। खुले में शौच, बेघरों को घर और निर्धनता को दूर करने की ओर बढ़ रहे हैं। इनके खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम में न भटकें।
5. महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है और कई मायनों में महिलाओं की आजादी को व्यापक बनाने में ही देश की आजादी की सार्थकता है।
6. आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है। आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी करीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं।
7. आज हम एक निर्णायक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में हमें इस बात पर जोर देना है कि हम ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में न उलझें और ना ही निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से हटें।
8. शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है। ऐसी भावना से ही संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है।