हरियाणा में किसान नेताओं और प्रशासन के बीच मंगलवार को बातचीत विफल होने के बाद करनाल में खासी संख्या में किसान 'मिनी सचिवालय' की तरफ बढ़ना शुरू किया। किसानों ने न्यू अनाज मंडी से सचिवालय का रूख किया तो उन पर पानी की बौछारें छोड़ी गईं। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है तथा 40 कंपनियों को लगाया गया है। वहीं, मिनी सचिवालय को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
करनाल में मिनी सचिवालय का घेराव करने को लेकर राकेश टिकैत ने कहा, "हमने गेट पर कब्ज़ा कर लिया है। अब कुछ देर आराम करना चाहते हैं। अभी बातचीत का समय नहीं है, ये बाद में भी हो सकती है।"
इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्विट करते हुए कहा कि करनाल में सरकार किसानों की बातें सुन नहीं रही है। उन्होंने कहा कि या तो खट्टर सरकार मांगें माने या हमें गिरफ्तार करे. हम हरियाणा की जेलें भरने को भी तैयार हैं। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के चीफ गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि करनाल प्रशासन और किसान नेताओं के बीच बातचीत विफल हो गई है। हम अलग रणनीति मंडी में तय करेंगे।
योगेंद्र यादव ने कहा है कि प्रशासन के साथ तीन दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। हमने एसडीएम के खिलाफ न्यायोचित कार्रवाई और निलंबन की मांग की है। सरकार उसे मानने के लिए तैयार नहीं है। अब हम महापंचायत में अंतिम निर्णय लेंगे।
बता दें कि करनाल में 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ किसानों ने महापंचायत बुलाई है। इसको देखते हुए प्रशासन ने करनाल, कुरुक्षेत्र, पानीपत, कैथल और जींद में इंटरनेट बंद का ऐलान किया है और धारा 144 लगाई है। हाल ही में किसानों ने मुजफ्फरनगर में महापंचायत की थी, जिसमें ऐतिहासिक भीड़ आई थी।
भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि सभी किसानों को समान रूप से लाभकारी मूल्य दिलाने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ 8 सितंबर को देश के जिला केंद्रों पर धरना प्रदर्शन करेगा। किसानों के आंदोलन पर सरकार को सहानुभूतिपूर्वक सोचना चाहिए।
किसानों के मार्च को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। करनाल स्थित नई मंडी में अलग-अलग जिलों से किसान जत्थे के साथ पहुंच रहे हैं। किसानों ने इस बात की घोषणा की है कि अनाज मंडी से होते हुए मिनी सचिवालय की ओर रुख करेंगे।