संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर विरोध दिल्ली में यूपी भवन तक पहुंच गया है। यहां जामिया समन्वय समिति के आह्वान पर जुटे प्रदर्शनकारियों के एक समूह को पुलिस ने हिरासत में लिया है। वहीं, जामा मस्जिद में भी एक बार फिर लोगों ने प्रदर्शन किया। इसके अलावा भीम आर्मी प्रमुख चंद्र शेखर आजाद की रिहाई और सीएए के विरोध को लेकर सैकड़ों लोगों ने अपने हाथों को बांधकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास की ओर मार्च किया जिसे पुलिस ने रास्ते में रोक दिया। इसी बीच लोक कल्याण मार्ग मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया है। विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। जुमें की नमाज के चलते जामा मस्जिद से लेकर सीलमपुर, मुस्तफाबाद, जाफराबाद और जामिया इलाके में भी पुलिस अलर्ट है। गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को दिल्ली में भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था, लिहाजा पुलिस प्रशासन एहतियात बरत रहा है।
पुलिस के कथित अत्याचारों के खिलाफ चाणक्यपुरी इलाके में उत्तर प्रदेश भवन के बाहर प्रदर्शन करने की कोशिश करने वाले प्रदर्शनकारियों के एक समूह को हिरासत में ले लिया गया है। जामिया समन्वय समिति, ने परिसर में सक्रिय विभिन्न राजनीतिक समूहों के छात्रों से यूपी भवन के "घेराव" का आह्वान किया था।
कार्यक्रम स्थल के बाहर भारी सुरक्षा तैनात थी। जैसे ही कुछ प्रदर्शनकारी पहुंचे, उन्हें हिरासत में ले लिया गया और मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया। पहले एक व्यक्ति विरोध के लिए आया और सड़क पर बैठ गया जब पुलिस ने उसे हिरासत में लेने की कोशिश की तो उसने कार्रवाई पर सवाल उठाया। पुलिस उसे वैन में बैठाकर ले गई।
धारा 144 लगाई गई
पुलिस ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत चार या अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बैरिकेड्स भी लगा दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने एक बैनर भी लगा रखा था, जिसमें लोगों से कहा गया था कि वे उत्तर प्रदेश भवन के बाहर धरना प्रदर्शन से परहेज करें क्योंकि निषेधाज्ञा लागू है।
हाथ बांधकर पीएम आवास की ओर किया मार्च
इससे पहले भारी सुरक्षा व्यवस्था और ड्रोन सर्विलांस के बीच, भीम आर्मी के सदस्यों सहित प्रदर्शनकारियों ने जोर बाग में दरगाह शाह-ए-मर्दन से मार्च शुरू किया और पुलिस ने इसे लोक कल्याण मार्ग पर पीएम के आवास से पहले ही रोक दिया। उन्होंने मार्च में अपने हाथों को बांधकर भाग लिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि विरोध के दौरान हिंसा और आगजनी के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सके। उन्होंने 'तानशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाए और हाथों में बाबा साहब अंबेडकर और आजाद के पोस्टर ले रखे थे। विरोध प्रदर्शन में शामिल माजिद जमाल ने कहा, "हमने अपने हाथ बांध लिए हैं और विरोध कर रहे हैं ताकि कल वे हम पर हमला न करें और झूठ न बोलें कि हम शांतिपूर्वक विरोध नहीं कर रहे थे।"
नया कानून बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफः वजाहत हबीबुल्ला
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने कहा कि नया कानून संविधान में निर्धारित बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में लोगों को बिना उनकी गलती के लिए गिरफ्तार किया गया है, सरकार को यह याद रखने की जरूरत है कि जब हमारे द्वारा चुना गया सांसद आवाज नहीं उठाएगा तो लोग खुद आवाज उठाने के लिए सड़कों पर उतरेंगे। ।
प्रदर्शनकारियों की ड्रोन से निगरानी की गई और पीएम आवास तक पहुंचने से पहले ही उन्हें रोक लिया गया तो उन्होंने पुलिस कर्मियों से अपील की कि उन्हें अपना मार्च जारी रखने की अनुमति दें। बता दें कि पिछले शुक्रवार को भड़काऊ भाषण में पुरानी दिल्ली के दरियागंज में हिंसा करने के लिए प्रदर्शनकारियों को उकसाने के लिए आजाद को गिरफ्तार किया गया था।
उत्तर पूर्वी दिल्ली में सुरक्षा बल तैनात
विरोध प्रदर्शन के चलते उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले के एक बड़े हिस्से में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया है। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के डीसीपी ने कहा, "जुमे की नमाज के मद्देनजर पर्याप्त पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों की 15 कंपनियां इलाके में तैनात हैं। हम सीलमपुर, जाफराबाद, वेलकम और मुस्तफाबाद इलाकों में फ्लैग मार्च कर रहे हैं। हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।"
वहीं दिल्ली पुलिस के पीआरओ, एमएस रंधावा ने कहा, "दिल्ली पुलिस किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। एहतियात के तौर पर, पुलिस ने कुछ इलाकों में कई लोगों को तैनात किया है। पुलिस अफवाहों की जांच के लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी नजर रख रही है।"
क्या है नागरिकता कानून
बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ना झेलने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं, सिखों, ईसाइयों, जैन, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है, जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में शरण ली है। विरोध करने वालों का कहना है कि मुसलमानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है।