दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन 81 दिन जारी है। किसान नेताओं और सरकार की 11 बार वार्ता भी हो गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस बीच रविवार को केंद्र सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वे तब तक शांति से नहीं बैठेंगे, जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं हो जाती।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को हरियाणा के करनाल जिले के इंद्री अनाज बाजार में किसान महापंचायत में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा टिकैत ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे 40 नेताओं ने समर्थन जुटाने के लिए पूरे देश का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन नहीं बल्कि, वैचारिक क्रांति शुरू हुई है।
किसान नेता टिकैत ने कहा कि जब तक सरकार हमारे पक्ष में फैसला नहीं करती, समिति से बात करती है और मांगों पर सहमत नहीं होती है, हम शांति से नहीं बैठेंगे। अभी जवान और किसान ने कानून वापसी का नारा लगाया है। हमने गद्दी वापसी का नारा नहीं लगाया। सरकार आप बनाते रहो, चलाते रहो, जो करना है करो। आप हमारे काम करते रहो। सरकार किसी की भी हो, हम सरकार से किसानों के लिए नीति पर बात करेंगे।
उन्होंने एक बार फिर कहा कि केंद्र के कृषि कानून सार्वजनिक वितरण प्रणाली को खत्म कर देंगे। कानून न केवल किसानों बल्कि छोटे व्यापारियों, दैनिक ग्रामीणों और अन्य वर्गों को भी प्रभावित करेंगे। कानून लाने के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए टिकैत ने कहा कि गोदाम पहले बनाए गए थे और कानून बाद में आए। किसानों को नहीं पता कि ये कानून बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में हैं। इस देश में भूख पर व्यापार की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि पंच और मंच एक ही रहेगा। समिति ने जो भी फैसले लिए हैं, वे सभी को स्वीकार्य हैं। देश के किसान इसके पीछे खड़े हैं। इस मौके पर किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल और हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी मौजूद रहे। राजेवाल ने कहा कि किसान महीनों से विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगों को नहीं सुन रही है। दर्शन पाल ने कहा कि आंदोलन के दौरान 200 से अधिक किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है, उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।