रवीना टंडन कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वाहन करती आई हैं। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री होने के साथ ही रवीना टंडन जनसरोकार से जुड़े मुद्दों में दिलचस्पी रखती हैं। जैसा कि वह अपनी फिल्मों में सशक्त भूमिकाएं निभाती हैं, ठीक वैसे ही वह असल जिंदगी में स्त्रियों और बच्चों के विकास और सशक्तिकरण के लिए पिछ्ले कई वर्षों से कार्य कर रही हैं। इसी कारण उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्होंने 21 वर्ष की आयु में 2 बच्चियों को गोद लेकर एक नई लकीर खींची। इसी यात्रा में रवीना टंडन को प्रतिष्ठित 'द वुमन 20' डेलिगेशन में शामिल किया गया है।
द वुमन 20 को साल 2015 में स्थापित किया गया था। यह आधिकारिक तौर पर जी 20 ग्रुप का हिस्सा है। इसका मुख्य उदेश्य यह है कि जी 20 सम्मेलन और बातचीत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हो। इसके साथ ही इसका मकसद है कि जेंडर से जुड़ी तमाम चर्चाओं को जी 20 की मुख्यधारा में शामिल किया जाए। इसी से महिलाओं में आर्थिक संपन्नता और सशक्तिकरण की भावना पोषित हो सकेगी।
इस उपलब्धि के विषय में विचार व्यक्त करते हुए रवीना टंडन ने कहा "मेरे लिए गर्व का विषय है कि मुझे 675 मिलियन भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है। भारत की महिलाएं देश के विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रही हैं और इस योगदान को विश्व पटल पर रेखांकित करने की जरूरत है। इस आयोजन के माध्यम से महिलाओं का योगदान पहचाना जाएगा, उसे एक मजबूत मंच मिलेगा। इससे उन्हें आर्थिक भागीदारी का अवसर मिलेगा।
रवीना टंडन निरंतर रूप से बालिकाओं के विकास के लिए यूनिसेफ, व्हाइट रिबन एलायंस, स्माइल फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने अकेले दम पर 30 बच्चों की परवरिश के लिए वसई में एक अनाथालय का निर्माण किया है। इन बच्चियों को उनके मकान मालिक द्वारा निकाल दिया गया था।
सिंटा की सलाहकार समिति में रवीना टंडन भागीदार रही हैं। इसके साथ ही वह सीएफएसआई की सबसे युवा चेयर पर्सन रही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अंग दान के क्षेत्र में किए कार्यों के लिए रवीना टंडन की सराहना की है। रवीना टंडन की रुद्रा फाउंडेशन बच्चों, महिलाओं, जानवरों के लिए बहुत काम कर रही है। जब कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन गैस सिलेंडर की कमी हो गई थी, तब रवीना टंडन ने दिल्ली और एनसीआर के इलाकों में जरूरतमंदों तक ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में उनके रुझान को देखते हुए उन्हें महाराष्ट्र का वाइल्डलाइफ गुडविल एंबेसडर बनाया गया है।