गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की अंतिम सूची के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार सरकार कार्य कर रही है। शीर्ष अदालत ने खुद ही सभी कदमों की समय सीमा तय की है, जिसके लिए इतने महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। रवीश कुमार ने कहा कि एनआरसी की फाइनल लिस्ट में जिनका नाम नहीं है, वे सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर लेने तक देश के नागरिक के तौर पर सभी सुविधाएं ले सकेंगे। उनको गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
‘विदेशी मीडिया में की जा रहीं भ्रामक बातें’
एनआरसी फाइनल लिस्ट को लेकर विदेशी मीडिया में कुछ भ्रामक बातें कही जा रही हैं, जो गलत हैं। भारत ने 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे असम के नागरिकों की देखभाल कर सकें। एनआरसी केंद्र सरकार, राज्य सरकार, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और ऑल असम गण संग्राम परिषद के बीच असम समझौते को लागू करने में मदद करेगा।
‘सुप्रीम कोर्ट कर रहा प्रक्रिया की निगरानी’
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2013 में भारत सरकार को वचन निभाने के लिए बाध्य किया। इसके चलते 2015 में असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई। एनआरसी को अपडेट करना सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य, पारदर्शी, कानूनी प्रक्रिया है। यह एक शासनात्मक संचालित प्रक्रिया नहीं है। इस प्रक्रिया की निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है।
करीब 19 लाख लोग लिस्ट से बाहर
असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) की अंतिम लिस्ट शनिवार को जारी की गई। एनआरसी की सूची में 3 करोड़ 11लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है जबकि सूची से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर रखा गया है। फाइनल असम एनआरसी लिस्ट में भारतीय सेना से रिटायर्ड ऑफिसर 52 वर्षीय सनाउल्लाह का नाम भी शामिल नहीं है। फाइनल लिस्ट में सनाउल्लाह की दोनों बेटी और एक बेटे का नाम भी नहीं है। हालांकि सनाउल्लाह की पत्नी का नाम इसमें शामिल है।