'आउटलुक' समूह ने मध्य प्रदेश की प्रमुख हस्तियों पर आधारित कॉफी टेबल बुक 'आइकॉन्स ऑफ मध्य प्रदेश' का प्रकाशन किया है। भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यहां की कई प्रमुख हस्तियों को सम्मानित भी किया। सीएम कमलनाथ ने कहा कि नई सोच के साथ राज्य को आइकॉन बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में बदलाव हो रहा है। जिसने अपने को नहीं बदला, उसका अस्तित्त्व दिखाई नहीं पड़ रहा हैं। राज्य में नई प्रशासनिक सोच के साथ नए निवेश और कृषि के क्षेत्र में क्रांति लाने की जरुरत है। आज तकनीकी और युवा पीढ़ी बड़ी चुनौती है।
'हर क्षेत्र में हो रहा है परिवर्तन'
मुख्यमंत्री ने सम्मानित हस्तियों को राज्य सरकार से जुड़ने और उनकी विशेषज्ञता का लाभ देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज, शिक्षा,प्रिंटिंग, प्रौद्योगिकी से लेकर दुनिया के हर क्षेत्र में परिवर्तन हो रहा है। एक दशक पहले देश-दुनिया में नामी-गिरामी रही कई कंपनियां आज नजर नहीं आतीं या पीछे छूट गईं क्योंकि उन्होंने बदलाव नहीं किया। जो एक दशक पहले परिदृश्य में नहीं थे आज वे चर्चित हैं क्योंकि वे बदलाव के साथ आये।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार भी अधिकारियों और कर्मचारियों की सोच में बदलाव लाकर नई कार्य संस्कृति लाना चाहती है। शिक्षा के क्षेत्र में आए परिवर्तन का जिक्र करते हुए कहा कि क्या सीखना है के बदले अब हमें ज्यादा सीखने के तरीकों पर ध्यान लगाना होगा।
'कृषि क्षेत्र ही बाजारों का आधार'
उन्होंने कहा कि उद्योग और अन्य क्षेत्रों में निवेश की जरुरत है, लेकिन निवेश की मांग नहीं की जा सकती, बल्कि प्रयासपूर्वक इसे आकर्षित किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने राज्य में कृषि क्षेत्र के विकास पर जोर देते हुए कहा कि यहां की 70 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। उन्होंने ने कहा कि भोपाल या इंदौर के बाजारों भले आपको रौनक दिखाई दे लेकिन उसका आधार तो कृषि क्षेत्र ही है।
'सम्मानित हस्तियां करें सरकार का सहयोग'
मुख्यमंत्री ने सम्मानित हस्तियों को सरकार के सलाहकार और मार्गदर्शक की भूमिका निभाने का आग्रह करते हुए कहा कि यह जरुरी नहीं है कि हम सरकार में हैं तो सब कुछ जानते हैं। कमलनाथ ने कहा कि मीडिया में कई तरह के बदलाव हो रहे है और निष्पक्ष पत्रकारिता कठिन हो गया है।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण आउटलुक हिंदी के संपादक हरवीर सिंह ने दिया। उन्होंने आउटलुक की प्रगति यात्रा और आइकॉन्स आफ मध्यप्रदेश कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क और विधि-विधायी मंत्री पी. सी. शर्मा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में आउटलुक के प्रकाशक संदीप घोष ने आभार व्यक्त किया।
इन लोगों को किया गया सम्मानित-
दिलीप सूर्यवंशी
दिलीप सूर्यवंशी का नाम इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्री में काफी जाना-माना है। उनकी कंपनी दिलीप बिल्डकॉन की यूएसपी है- क्वालिटी। इन्होंने भोपाल डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर बिजनेस की शुरुआत की थी। आज इनका कारोबार देश के 17 राज्यों में है। रोड कंस्ट्रक्शन में तो यह भारत समेत एशिया के कई देशों में शीर्ष कंपनियों में शुमार की जाती है।
संजीव अग्रवाल
संजीव अग्रवाल ग्रुप ऑफ इंटरप्राइजेज के सीएमडी श्री अग्रवाल इस बात की मिसाल हैं कि आम आदमी भी कड़ी मेहनत और निष्ठा के बल पर शून्य से शिखर तक पहुंच सकता है। करीब तीन दशक पहले शुरू हुए ग्रुप का बिजनेस आज रियल स्टेट, एजुकेशन, मीडिया और पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे सेक्टर में है।
अनिल अग्रवाल
अनिल अग्रवाल फूड बिजनेस की जानी-मानी कंपनी सांवरिया कंज्यूमर लिमिटेड के प्रिंसिपल एडवाइजर और मेंटॉर हैं। अभी मध्य प्रदेश में सांवरिया कंज्यूमर की 5 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। यहां से 18 राज्यों में प्रोडक्ट की सप्लाई होती है। डॉ. अग्रवाल का इरादा अपना बिजनेस पूरे देश में फैलाने का है।
श्याम अग्रवाल
डॉ. श्याम अग्रवाल अविभाजित मध्य प्रदेश के पहले ऑन्कोलॉजिस्ट हैं। ऑन्कोलॉजी में डॉक्टरेट करने के बाद उनके पास अमेरिका में जॉब का ऑफर था लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश के गरीब कैंसर पीड़ितों की सेवा करने का रास्ता चुना। कैंसर के मरीजों को डॉक्टर से नए जीवन की उम्मीद होती है। इसलिए उन्होंने अपने अस्पताल का नाम नवोदय रखा। डॉ. अग्रवाल के कैंसर पीड़ित बच्चों का इलाज मुफ्त में करते हैं।
अक्षय कांति बाम
इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के चेयरमैन श्री अक्षय कांति बाम सपने सिर्फ देखते नहीं, उन्हें हकीकत में बदलने का भी साहस रखते हैं। कड़ी मेहनत के दम पर उन्होंने सिर्फ 10 वर्षों में इंदौर इंस्टीट्यूट आफ लॉ को पूरे भारत के प्रतिष्ठित लीगल संस्थानों में शुमार कराया है। बाम को इससे पहले भी कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।2016 में उन्हें आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर का अवार्ड मिला था।
अचल चौधरी
यूं तो अचल चौधरी ने शुरुआत आर्किटेक्ट के तौर पर की थी, लेकिन उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत नाम कमाया है। आईपीएस अकादमी के प्रेसिडेंट श्री चौधरी मानते हैं कि बिना वैल्यू और स्किल के मिलने वाली शिक्षा से ना तो समाज की सेवा हो सकेगी, और न ही देश का भला होगा।
अनुपम चोकसे
लक्ष्मी नारायण कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी – LNCT - के सेक्रेटरी डॉ. चोकसे अपने पिता जे.एन. चोकसे के सपनों को साकार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। आज LNCT ग्रुप में 11 इंजीनियरिंग कॉलेज और एक मेडिकल यूनिवर्सिटी है। ऊर्जा और पैशन से भरपूर डॉ. चोकसे एलएनसीटी को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं।
उपिंदर धर
श्री वैष्णव ट्रस्ट 1951 से शिक्षा के क्षेत्र में योगदान करता आ रहा है। श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय में शिक्षण सत्र की शुरुआत जुलाई 2016 में हुई थी। डॉ. उपिंदर धर इसके पहले वाइस चांसलर हैं। मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत बनने वाली यह पहली स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी है। यह इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के साथ-साथ कई अकादमिक प्रोग्राम ऑफर करती है।
ए.के. द्विवेदी
होम्योपैथी के डॉक्टरों की संख्या तो दिनों-दिन बढ़ रही है। लेकिन इनमें बहुत कम डॉक्टर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हैं। डॉ. ए.के. द्विवेदी का नाम ऐसे ही चंद डॉक्टरों में शुमार है। डॉ. द्विवेदी पीएचडी के साथ होम्योपैथी में एमडी भी हैं। वे एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के डायरेक्टर और SKRP गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, इंदौर में फिजियोलॉजी के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट भी हैं।
दविश जैन
डॉ. दविश जैन, प्रेस्टीज ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट और प्रेस्टीज एजुकेशन सोसायटी के वाइस चेयरमैन हैं। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. जैन सोया-प्रोटीन के इस्तेमाल से कुपोषण दूर करने के मिशन पर वर्षों से काम कर रहे हैं। वह कई मौकों पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इनके लंबे अनुभव को देखते हुए केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय ने इन्हें फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में मेंबर नियुक्त किया है।
नेमनाथ जैन
डॉ. नेमनाथ जैन इंदौर में पहली पीढ़ी के टेक्नोक्रेट, उद्योगपति और समाज सुधारक हैं। भारत में सोयाबीन सेक्टर के विकास में इनकी भागीदारी सराहनीय है। इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ इलाके के हजारों किसान संपन्न हुए हैं। सोया इंडस्ट्री को योगदान के लिए डॉ. जैन 1983 में उद्योग भूषण अवार्ड और 1987 में उद्योग विभूषण अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
सुनील जैन
मध्य प्रदेश के छोटे से गांव से निकले डॉ. सुनील जैन आज पूरे देश में मशहूर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और डायबेटोलॉजिस्ट हैं। डायबिटीज, थायरॉयड और हॉरमोन डिस्बैलेंस के क्षेत्र में अतुलनीय काम के लिए इन्हें मेडिकोप्रेन्योर भी कहा जाता है। डायबिटीज पर इनकी किताब – मधुमेह एक नया जीवनसाथी – का विमोचन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी ने किया था। डॉ. जैन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के हाथों भी सम्मानित हो चुके हैं।
श्रीद्धांत जोशी
सोलह साल पहले 2003 में स्थापित कौटिल्य अकादमी सिविल सर्विसेज के साथ-साथ बिजनेस मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को तैयार करती है। श्री जोशी के सामने चुनौती थी कि इस प्रोफेशन में उनके सामने कोई रोल मॉडल नहीं था। लेकिन आज वह खुद दूसरों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं।
जीतेंद्र मिश्र
मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन – MCA - की एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कराने में जीतेंद्र मिश्र की कोई सानी नहीं है। उनके नाम से चलने वाली अकादमी एमसीए एंट्रेंस के लिए पूरे देश में नंबर वन मानी जाती है। इसके छात्रों को देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में एडमिशन मिला है। श्री मिश्र की खासियत है कि ये अपने छात्रों के मन में देशभक्ति का भी भाव जगाते हैं, ताकि आईआईटी-एनआईटी जैसे संस्थानों से निकलने के बाद छात्र विदेश न जाकर, देश के विकास में योगदान करें।
कैलाश सत्यार्थी
बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता और नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की आराम की जिंदगी के बजाय आंदोलन की कठिन रास्ता चुना, ताकि बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सके। जब 1980 में उन्होंने इसकी शुरुआत की, तब भारत में बाल श्रम कोई मुद्दा ही नहीं था। इसलिए श्री सत्यार्थी को उस सोच से भी लड़ना पड़ा जिसमें बाल श्रम को सामान्य समझा जाता था। बाल श्रम के खिलाफ ग्लोबल मार्च की उन्होंने अगुवाई की। यह मार्च 103 देशों में आयोजित हुआ। इसी के बाद इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने अपने कन्वेंशन में बाल श्रम को शामिल किया। सत्यार्थी 2014 में शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
श्री प्रदीप श्रीवास्तव
सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी कराने में पीएस अकादमी एक जाना-माना नाम है। श्री प्रदीप श्रीवास्तव की 24 साल पुरानी इस अकादमी से अब तक 5 हजार से ज्यादा ऑफिसर्स निकल चुके हैं। इनमें कुछ तो आईजी और कमिश्नर लेवल के अधिकारी हैं। अकादमी की सफलता का राज इसका नारा ‘प्रॉमिस एंड सक्सेस’है।