सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित आउटलुक एग्रीकल्चर कॉनक्लेव और इसके तहत आयोजित विशेषज्ञ सत्रों के दूसरे सत्र के पहले पैनल ‘डिस्कशन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड स्मार्ट टेक्नोलॉजी फॉर इकोनॉमिक ग्रोथ’ में केंद्रीय कृषि मंत्रालय की विशेष सचिव वसुधा मिश्रा ने कहा कि सरकार किसानों के लिए लैंड होल्डिंग का डाटा तैयार कर रही है, जिससे किसानों की पहुंच बड़े स्तर पर बाजार तक पहुंच बनेगी।
पहले पैनल में चर्चा करते हुए फूड सिक्योरिटी एंड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फाउंडेशन के कन्वीनर विजय सरदाना ने कहा कि स्मार्टफोन के आने के बाद से ही लोगों के कामों में बदलाव आया है, चाहते हैं कि ऐसी ही टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किसानों को भी करना चाहिए ताकि वह उसका इस्तेमाल अपनी फसल में कर सकें।
इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की आबादी 140 करोड़ से अधिक है, इसलिए टैक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल कर हम अपने काम में बदलाव ला सकते है। हमें अपनी आमदनी को बचाना है, अपनी फसल को बचाना है, देश की खाद्य सुरक्षा को बचाना है इसके लिए टेक्नोलॉजी की जरूरत है।
दूसरे सत्र की बातचीत में सरदाना ने पैनल के अन्य लोगों से पूछा कि आज किसानों को किस तरह से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहिए?
इस पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डायरेक्टर जनरल डॉ त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि जो भी टेक्नॉलॉजी है उसका सही इस्तेमाल करने से ही किसानों को लाभ होगा। वहीं, इस पर वसुधा मिश्रा ने कहा कि आज की जो परिस्थियां है, उसमें कलेक्टिव फार्मिंग की ओर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा पोर्टल बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जो होर्टिकल्चर को बढ़ावा देगा और किसानों को बाजार तक पहुंचाएगा।
इस पैनल में डिस्कशन के दौरान प्रसिडेंट एंड बिजनेस हेड, श्रीराम फार्म सॉल्यूशंस, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड संजय छावड़ा ने कहा कि एग्रीकल्चर की हालत पहले से कुछ बेहतर हुई है। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर को लेकर बढ़ रही नकारात्मकता को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि पहले हम आयात करते थे लेकिन आज हम जहाज भरभर के निर्यात कर रहे हैं। पहले हम घाटे पर रहते थे आज हम मुनाफे में हैं, सरप्लस पर हैं।
संजय छावड़ा ने कहा कि आज के समय में नई तकनीकों के माध्यम से रिसर्च हो रहा है। किसान को हमेशा नए उत्पादों को देखकर उसका इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे में लिहाजा नए तकनीकों का किसानों को इस्तेमाल करना चाहिए, जो फसल के लिए सही हो उसका इस्तेमाल करें।
विशेष योगदान करने वाले विजेताओं को पुरस्कार
कार्यक्रम के दौरान हो रहे पैनल डिस्कशन में देश की कृषि क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां, नीति निर्धारक और विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। कॉनक्लेव में किसानों के अलावा कृषि क्षेत्र में सक्रिय दूसरे संगठनों और संस्थानों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिए जाएंगे। विशेष योगदान करने वाले विजेताओं का चयन कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों की ज्यूरी द्वारा किया गया। ये पुस्कार कॉनक्लेव के समापन समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा प्रदान किए जाएंगे। कॉनक्लेव के उद्घाटन सत्र को मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रीस्टोन त्यानसोंग, हरियाणा के कृषि मंत्री, जय प्रकाश दलाल. मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव, तेलंगाना के कृषि मंत्री एस.निरंजन रेड्डी संबोधित करेंगे। कॉनक्लेव में हिस्सा लेने वाले विशेषज्ञ और ज्यूरी सदस्य इस प्रकार हैं।
हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल
हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल विशिष्ट अतिथि हैं। किसानों की मौजूदा समस्याओं को सुलझाने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए दलाल काफी सक्रिय हैं। उन्होंने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कराने को काफी प्रयास किए।
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव किसानों की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। राज्य में कई दिक्कतों का सामना कर रहे किसानों को राहत दिलाने और आर्थिक प्रगति पर आगे ले जाने के लिए वह काम कर रहे हैं।
मेघालय के उप मुख्यमंत्री प्रीस्टोन त्यानसोंग
मेघालय के उप मुख्यमंत्री मेघालय प्रीस्टोन त्यानसोंग विशिष्ट अतिथि होंगे। मेघालय में 80 फीसदी आबादी कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। इसके नाते राज्य के आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र बेहद अहम है। उप मुख्यमंत्री होने के नेता त्यानसोंग की भूमिका खासी महत्वपूर्ण है।
हरीश चव्हाण
हरीश चव्हाण महिंद्रा एंड महिंद्रा लि. के स्वराज डिवीजन के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर हैं। इनका भारत और विदेश में मैन्यूफैक्चरिंग, मैनेजमेंट, स्ट्रैटजी प्लानिंग, ओवरसीज बिजनेस सहित कई क्षेत्रों में कार्य करने का 28 साल का अनुभव है। स्वराज डिवीजन का प्रभार संभालने से पहले वह महिंद्रा ग्रुप में कई अन्य अहम पदों पर रहे हैं।
वसुधा मिश्रा
1987 बैच की तेलंगाना कैडर की आइएएस अधिकारी वसुधा मिश्रा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में विशेष सचिव हैं। इससे पहले वह प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग में अतिरिक्त सचिव थीं। वह राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर भी रहीं। उससे पहले वे आंध्र प्रदेश में भी कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र
डॉ. त्रिलोचन महापात्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के डायरेक्टर जनरल हैं। मोलेक्यूलर जेनेटिक्स और जीनोमिक्स के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ख्याति प्राप्त डॉ. महापात्र को सरकार ने बायोसाइंसेज के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारतीय वैज्ञानिकों के सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक नेशनल बायोसाइंसेज अवार्ड प्रदान किया।
विजय सरदाना
फूड सिक्योरिटी एंड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फाउंडेशन के संयोजक विजय सरदाना यूपीएल ग्रुप में वाइस प्रेसीडेंट और फूड सिक्योरिटी एंड एग्रीबिजनेस, पॉलिसी एंड प्रोग्राम के प्रमुख हैं। वे देश के अनेक संगठनों में अलग-अलग भूमिकाओं में जुड़े हैं। सरदाना वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम, वर्ल्ड बिजनेस काउंसिल फॉर सस्टेनेबल डवलपमेंट, इनीशिएटिव फॉर ग्लोबल डवलपमेंट और इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की गतिविधियों में भी जुड़े रहे हैं।
राजीव रल्लन
राजीव रल्लन महिंद्रा एंड महिंद्रा के स्वराज डिवीजन के सेल्स एंड मार्केटिंग प्रमुख हैं। स्वराज ट्रैक्टर को लोकप्रिय बनाने और किसानों को जोड़ने में रल्लन की अहम भूमिका रही है। किसानों को आए दिन आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए मोबाइल एप जैसी पहल करके उन्होंने जोड़ने की पहल की है।
संजय गाखर
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में बीटेक गाखर MCX के वाइस प्रेसिडेंट हैं। कमोडिटी फ्यूचर, सप्लाई चेन और ट्रेडिंग जैसे क्षेत्र में इन्हें विशेषज्ञता हासिल है। अगस्त 2005 में MCX ज्वॉइन करने से पहले वह नाफेड और ब्रिटानिया जैसे संस्थानों में काम कर चुके हैं।
संजय छाबरा
श्री संजय छाबरा डीसीएम श्रीराम की श्रीराम फार्म सोल्यूशंस के प्रेसीडेंट और बिजनेस हेड हैं। एग्री इनपुट और रूरल मार्केट के क्षेत्र में उनके पास 27 साल का व्यापक अनुभव है। देश में पहले रूरल रिटेल इनीशिएटिव डीसीएस श्रीराम के हरियाली के विकास में छाबरा की अहम भूमिका रही।
डैन एलफ
इजरायली दूतावास में इंटरनेशनल डवलपमेंट कोऑपरेशन, साइंस एंड एग्रीकल्चर के काउंसलर डैन एलफ कृषि क्षेत्र में प्रबंधकीय पदों पर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले डैन एलफ के पास बागान और फसलों के प्रबंधन का व्यापक अनुभव है। उन्होंने हिब्रू यूनीवर्सिटी से कृषि क्षेत्र की शिक्षा लेने के बाद एमबीए की डिग्री प्राप्त की।
अनूप विकल
अनूप विकल नायरा एनर्जी के चीफ फाइनेंशियल ऑफीसर हैं। उन्होंने जब नायरा एनर्जी ज्वाइन की थी, उस समय कंपनी बदलाव के दौर से गुजर रही थी। उन्होंने नियंत्रण, जोखिम प्रबंधन और प्लानिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे कंपनी में लीगल और सीएसआर गतिविधियां भी देखते हैं। वह स्नैपडील और भारती एयरटेल में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं।
विनीत दुरानी
विनीत दुरानी माइक्रोसॉफ्ट के डायरेक्टर हैं और कस्टमर एंड पार्टनरशिप इंगेजमेंट्स की जिम्मेदारी संभालते हैं। बिजनेस मैनेजमेंट के क्षेत्र में उनके पास 24 साल का अनुभव है। दुरानी माइक्रोसॉफ्ट में कई अन्य जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक वहन कर चुके हैं। माइक्रोसॉफ्ट से पहले वे सैमसंग और मोदी एंटरप्राइजेज में भी रहे।
संजय अग्रवाल
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल 1984 बैच के यूपी काडर के आइएएस हैं। उन्होंने आइआइटी कानपुर से बीटेक और एमटेक की डिग्री हासिल की। उत्तर प्रदेश सरकार में अनेक पदों पर रहे संजय अग्रवाल बिजली विभाग के प्रमुख सचिव भी रहे। वह राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव भी बने। कृषि मंत्रालय में सचिव के पद पर होने के नाते इस क्षेत्र की नीतियों के निर्धारण में उनकी अहम भूमिका है। किसानों की आय दोगुनी करने और किसान सम्मान निधि जैसी मोदी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करने की मुख्य जिम्मेदारी उनके ही मंत्रालय की है।
डॉ. टी. हक
डॉ. टी. हक कृषि लागत एवं मूल्य आयोग - CACP के चेयरमैन और नीति आयोग के लैंड पॉलिसी सेल के प्रमुख रह चुके हैं। जाने-माने कृषि अर्थशास्त्री डॉ. हक कृषि विकास और नीतियों के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं। वे अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन और वर्ल्ड बैंक सहित कई संगठनों में वरिष्ठ सलाहकार रह चुके हैं। वे केंद्र सरकार के अलावा पंजाब और आंध्र प्रदेश की सरकारों की कई विशेषज्ञ समितियों में भी रहे। डॉ. हक ने करीब एक दर्जन पुस्तकें और 100 से ज्यादा रिसर्च पेपर लिखे हैं। उनकी किताबों और लेखों का मुख्य जोर ग्रामीण विकास, विकासशील देशों के लिए समग्र नीति निर्धारण, भूमि सुधार, कृषि सुधार जैसे विषयों पर रहा।
संदीप नायक
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम- NCDC के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप नायक का सहकारी क्षेत्र में काफी अनुभव है। कृषि और किसानों के उत्थान में सहकारी क्षेत्र की भूमिका को उन्होंने नजदीक से देखा है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम इसी क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम कर रहा है। जम्मू-कश्मीर बैच के आइएएस, श्री नायक जम्मू-कश्मीर में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव के अलावा कई अन्य पदों पर भी रहे। उनकी देखरेख में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव ट्रेड फेयर का आयोजन किया गया।
सौरभ कुमार
श्री सौरभ कुमार आइसीआइसीआइ फाउंडेशन के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफीसर हैं। इन्होंने आइसीआइसीआइ डिजिटल विलेज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार का विस्तार हुआ और गांवों को फायदा मिला।
डॉ. डी. एन. ठाकुर
डॉ. डी. एन. ठाकुर सहकार भारती के नेशनल वाइस प्रेसीडेंट हैं। इससे पहले डॉ. ठाकुर कृषि और सहकारिता मंत्रालय में कई वर्षों तक रहे और सहकारिता के क्षेत्र में व्यापक अनुभव हासिल किया। वे नेशनल कोऑपरेटिव डवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) के डिप्टी एमडी भी रह चुके हैं।
वी.एम. सिंह
श्री वी एम सिंह जाने माने किसान नेता हैं। पूर्व विधायक श्री सिंह ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन समिति के राष्ट्रीय कन्वीनर भी हैं। किसानों के हकदार की बात वे विभिन्न मंचों से उठाते रहे हैं।
डॉ. रॉन मल्का
डा. रॉन मल्का भारत में इजरायल के राजदूत हैं। अर्थशास्त्र और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में शिक्षा पाने के बाद उन्होंने इजरायल की सेना में सेवाएं दीं। उसके बाद आइडीएफ इंटेलीजेंस कॉरपोरेशन और चीफ ऑफ स्टाफ की फाइनेंशियल एडवायजरी यूनिट में वरिष्ठ पदों पर रहे। आर्थिक और वित्तीय विषयों पर गहरी समझ रखने वाले डॉ. मल्का इजरायल में आर्थिक और वित्तीय संगठनों से जुड़े रहने के अलावा शिक्षण का भी अनुभव रखते हैं।
आर.एस. सोढी
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (अमूल) के मैनेजिंग डायरेक्टर आर.एस सोढी की ज्यूरी में मौजूदगी खासी महत्वपूर्ण है। दुग्ध यानी श्वेत क्रांति को नई दिशा देने में सोढी की अहम भूमिका रही है। गुजरात में अमूल का ऐसा मॉडल विकसित हुआ कि पूरे देश में इसे अपनाकर दुग्ध पालन व्यववसाय को नई दिशा मिल गई। सोढी मार्केट रिसर्च, फूड प्रोसेसिंग, एफएमसीजी और बिजनेस डेवलपमेंट में विशेषज्ञता रखते हैं।
डॉ. ए.के. सिंह
डॉ. ए.के. सिंह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- ICAR के डिप्टी डायरेक्टर जनरल हैं और कृषि विस्तार क्षेत्र के प्रभारी हैं। ज्यूरी में उनकी मौजूदगी इस वजह से महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे कृषि अनुसंधान से लंबे अरसे से जुड़े हैं। किसानों की आय दोगुनी करने में कृषि अनुसंधान की अहम भूमिका होने के कारण उनका अनुभव और योगदान बहुत महत्वपूर्ण है।